परिषदीय स्कूलों को संवारने के लिए साल 2018 से ही मुहिम चल रही है। ऑपरेशन कायाकल्प के तहत अब तक 80 करोड़ से अधिक का बजट खर्च हो चुका है। पंचायतीराज के साथ ही मनरेगा से भी बजट खर्च होने के बावजूद स्कूलों में अभी भी सभी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इससे स्कूलों में विद्यार्थियों का ठहराव कम हो रहा है। बीते साल की स्थिति पर गौर करें तो एक लाख से अधिक बच्चे नियमित स्कूल नहीं आए। ये बच्चे बीच-बीच में स्कूल न आकर व्यवस्था में कमी आ एहसास कराते रहे। बेसिक शिक्षा विभाग ने अब 19 पैरामीटर तय किए हैं, जिसकी पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पता चला कि 2,092 स्कूलों में फर्नीचर ही नहीं है और 1,772 स्कूलों में बाल मैत्री शौचालय ही नहीं बन सका। वहीं, एक हजार स्कूलों में अभी तक बाउंड्रीवाल नहीं बनी है।
ऑपरेशन कायाकल्प और स्कूल ग्रांट के बाद भी सरकारी स्कूलों में कई कमियां हैं। जिससे छात्रों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिले के 2,611 स्कूलों में चार लाख 10 हजार छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। स्कूलों में कमियों के चलते इन बच्चों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अधिकतर स्कूलों में कोई न कोई कमी जरूर है। जिले में करीब चार सौ स्कूल ही ऐसे हैं, जहां सभी सुविधाएं हैं। हालांकि अभी इनका विस्तार होना है। विभाग की ओर से कराए गये सर्वे में कई तरह की कमियां सामने आईं हैं। विभाग की तैयारी है कि अगस्त माह से अभियान चलाकर इन कमियों को दूर करा दिया जाए। ताकि नए शैक्षिक सत्र में सभी स्कूल 19 पैरामीटर पर खरा उतर सकें। बताया जा रहा है कि स्कूलों को संसाधनों व सुविधाओं से लैस करने के लिए पंचायतीराज व मनरेगा से भी बजट खर्च होगा। यही नहीं विभाग भी कंपोजिट ग्रांट मुहैया कराएगा। माना जा रहा है कि 25 करोड़ रुपये से अधिक का बजट तो पंचायतों से ही खर्च होगा। फिलहाल अभी विभाग को सर्वे का डाटा भेजा गया है।