प्रचंड गर्मी में बिजली आपूर्ति पटरी पर रखना पावर कॉर्पोरेशन के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है और अधिकारियों-कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद रोस्टर के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो पा रही है। गांवों और तहसीलों में कटौती बढ़ गई है। शहरी क्षेत्रों में भी अघोषित कटौती से हालात बदतर हैं। खास तौर पर कमजोर वितरण नेटवर्क बड़ी समस्या खड़ी कर रहा है।
प्रदेश में बिजली की मांग 25,000 मेगावाट के आसपास बनी हुई है। एनर्जी एक्सचेंज से 1,600 मेगावाट से ज्यादा बिजली खरीदने और केंद्र से करीब 2,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलने के बावजूद किल्लत बरकरार है। कुल उपलब्धता 23,000-24,000 मेगावाट तक ही पहुंच पा रही है। खास तौर पर रात में मांग और उपलब्धता में भारी अंतर के चलते रोस्टर के अनुसार आपूर्ति संभव नहीं हो पा रही है।
शहरों से लेकर गांवों तक आपात कटौती करके किसी तरह लोड मैनेज किया जा रहा है। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक गांवों, नगर पंचायतों, तहसीलों व बुंदेलखंड को तय रोस्टर से कम आपूर्ति हो पा रही है। कागजों पर तो शहरी क्षेत्रों, उद्योगों आदि को 24 घंटे आपूर्ति का दावा किया जा रहा है, लेकिन राजधानी लखनऊ समेत लगभग सभी बड़े-छोटे शहरों में अघोषित कटौती ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है।
प्रदेश में कुल लोड का 61 फीसदी घरेलू है जबकि 12 प्रतिशत लोड निजी नलकूपों का है। यानी बिजली की सर्वाधिक खपत घरेलू उपभोक्ता और निजी नलकूप उपभोक्ता कर रहे हैं और इसी श्रेणी का सिस्टम फेल हो रहा है। विशेषकर 11 केवी नेटवर्क बढ़े हुए लोड का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है। इसकी वजह से ब्रेकडाउन ज्यादा हो रहे हैं।
Categories
प्रचंड गर्मी में नहीं हो पा रही बिजली आपूर्ति: लखनऊ समेत बड़े शहरों में अघोषित कटौती से लोगों का जीना मुहाल
