अमेरिकी वित्तीय लेखक रोबर्ट कियोसाकी, जिन्हें उनकी किताब Rich Dad Poor Dad के लिए जाना जाता है, ने हाल ही में दुनिया को एक बड़ी आर्थिक चेतावनी दी है। वे इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वर्तमान वित्त-बाजार में एक “सबसे बड़ी” मंदी आने वाली है, और इसमें पारंपरिक बचत व निवेश तरीके — विशेषकर फिएट (सरकारी) मुद्रा, बैंक जमा, स्टॉक्स एवं बांड — धोखे में डाल सकते हैं।
कियोसाकी की राय है कि डॉलर जैसे मुद्रा को केंद्र में रखकर निवेश करना आज सुरक्षित नहीं रहा है। उन्होंने कहा है कि “Stop saving fake $” अर्थात नकली डॉलर में बचत करना अब सार्थक नहीं है, क्योंकि मुद्रास्फीति, बढ़ता कर्ज और बैंकों-मुद्रा प्रणालियों में कमजोरी इसके सामने बड़ी समस्या बन रही है।
इसके सामने उन्होंने उन परिसंपत्तियों का सुझाव दिया है जिनका मूल्य अंततः बढ़ने की संभावना है — जैसे कि सोना (gold), चाँदी (silver) और क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin। हालांकि विवाद यह है कि उन्होंने साथ ही चेतावनी भी दी है कि ये सभी परिसंपत्तियाँ अभी “बबल” के अधीन हो सकती हैं — अर्थात् इनके दाम खतरनाक रूप से ऊँचे हो सकते हैं, और एक बड़ी गिरावट का जोखिम मौजूद है।
उदाहरण के लिए, उन्होंने सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा:
“BUBBLES are about to start BUSTING. When bubbles bust odds are gold, silver, and Bitcoin will bust too. Good news. If prices of gold, silver, and Bitcoin crash…. I will be buying.”
यह वाक्य उनकी दोहरी रणनीति को दर्शाता है: एक तरफ वह चेतावनी दे रहे हैं कि गिरावट संभव है, तो दूसरी ओर वह खुद इस गिरावट को खरीद का अवसर मानते हैं।
उनका तर्क है कि वर्तमान में अमेरिका और अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं का कर्ज, मुद्रास्फीति का दबाव, तथा सेंटरल बैंक द्वारा निरंतर पैसा छापने की प्रवृत्ति — ये सभी संकेत हैं कि आर्थिक स्थिति स्थिर नहीं है।
भारत-विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यदि यह गिरावट वास्तव में आए, तो इसका प्रभाव न सिर्फ अमेरिकी या पश्चिमी बाजारों पर होगा, बल्कि वैश्विक संसाधन-वित्तीय क्षितिज पर भी दिखेगा। भारतीय निवेशक विशेष रूप से सोना-चाँदी में परंपरागत निवेश करते रहे हैं, और अब इस चेतावनी के बाद उन्हें यह विचार करना होगा कि कितना जोखिम स्वीकार्य है और कब “दाम कम होने पर खरीद” करना बेहतर होगा।
बहरहाल, कियोसाकी ने पूरी तरह से सोना-चाँदी-बिटकॉइन में शिफ्ट होने की सलाह नहीं दी है कि यह हर किसी के लिए सही है। बल्कि उन्होंने “सच्ची परिसंपत्तियों (real assets)” — यानी ऐसी संपत्तियाँ जिनका भौतिक अस्तित्व या सीमित संख्या हो — जिनमें भरोसा हो, उन पर भरोसा करने की बात कही है।
इस खबर से जुड़े खास बिंदु इस प्रकार हैं:
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उन्होंने एफटी ई (ETF) जैसे कागज़ी निवेश साधनों पर भी आक्रामक टिप्पणी की है, कहा है कि ये “गन की तस्वीर” हैं — संकट के समय वास्तव में काम नहीं आते।
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वह दावा करते हैं कि सोना-चाँदी-बिटकॉइन में गिरावट आने पर वही लोग लाभ में रहेंगे जिन्होंने पहले से तैयारियाँ कर रखी हों।
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उन्होंने यह भी कहा है कि बचत को केवल बैंक में जमा करना या बांड में करना अब सुरक्षित विकल्प नहीं रहा — क्योंकि मुद्रास्फीति व मुद्रा अवमूल्यन का जोखिम है।
