
तियांजिन (चीन) — शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की 25वीं शिखर बैठक का मंच मंगलवार को देखने को मिला एक वैश्विक कूटनीतिक मिलन का, जहाँ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सभी आमने-सामने आए।
1. आकस्मिक मुलाकातें और औपचारिक स्वागत
पीएम मोदी की यह चीन में वापसी सात साल बाद हुई, और शी जिनपिंग ने उनका भव्य स्वागत किया। दोनों नेताओं की बैठक में आतंकवाद, व्यापार, सीमा सुरक्षा और सहयोग को भूमिका की प्रधानता दी गई। मोदी ने सीमा पार आतंकवाद की चुनौतियों को साझा हित बताया और चीन से सहयोग का आग्रह किया, जिस पर चीन ने सकारात्मक रुख अपनाया।
2. सामने बैठे महाशक्तियाँ
समूह फोटोशूट में प्रधानमंत्री मोदी, शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन सभी पहले पंक्ति में खड़े दिखाई दिए — यह दृश्य SCO में भारत की बढ़ती भूमिका और वैश्विक दक्षिण एकता का प्रतीक माना जा रहा है।
3. द्विपक्षीय संवाद का महत्व
मुलाकातों के दौरान मोदी-जिनपिंग ने वार्षिक व्यापार घाटा, अमेरिकी टैरिफ़ बनाए जाने जैसी वैश्विक आर्थिक चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने और पूर्ण सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमति व्यक्त की।
4. SCO में भारत का रुख
पिछले बॉर्डर टकरावों के बावजूद, SCO में मोदी ने चीन को “प्रतिस्पर्धी नहीं, सहयोगी” के रूप में देखने की बात कही। इस दौरान टैरिफ़ युद्ध और व्यापार असंतुलन जैसे मुद्दों पर भी भारत-चीन संवाद प्रमुख रहे।
5. राजनीति और भूराजनीति पर प्रभाव
जैसे-जैसे SCO अब पश्चिमी प्रभाव के विकल्प के रूप में उभर रहा है, भारत ने अपनी स्वतंत्र नीति—पश्चिम के साथ संबंध बनाए रखते हुए रूस और चीन से समझौतों के एक सीमित आचार में—की भूमिका को प्रदर्शित किया है।