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तियानजिन SCO शिखर सम्मेलन में मोदी-पुतिन द्विपक्षीय बैठक

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तियानजिन (चीन), 1 सितंबर 2025 – शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन के दौरान, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति वलादिमीर पुतिन की तियानजिन में एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने “कठिन समय में भी एक साथ चलने” का भरोसा व्यक्त किया।

1. मजबूत और विशेष साझेदारी की पुष्टि

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देते हुए कहा, “सबसे मुश्किल समय में भी भारत और रूस हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर चले हैं,” और इस साझेदारी को न सिर्फ दोनों देशों के लिए बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए आवश्यक बताया।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी मोदी को अपने “प्रिय मित्र” के रूप में संबोधित किया और कहा कि यह भरोसेमंद और विशेष संबंध भविष्य की साझेदारी की आधारशिला हैं।

2. रोमांचक क्षण: साझा यात्रा में गहरी समझ

सम्मेलन स्थल से द्विपक्षीय बैठक के स्थल तक मोदी और पुतिन एक ही कार में गए, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर (X) पर साझा करते हुए लिखा, “उनके साथ बातचीत हमेशा विचारोत्तेजक होती है।”

यह प्रतीकात्मक क़दम उनकी गहरी राजनयिक निकटता को दर्शाता है, ख़ासकर तब जब अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीद पर भारत पर व्यापक व्यापारिक दबाव है।

3. यूक्रेन संघर्ष में शांति की अपील

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में यूक्रेन युद्ध की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और हालिया शांति प्रयासों का स्वागत किया। उन्होंने सभी पक्षों से रचनात्मक रूप से आगे बढ़ने और युद्ध को जल्द ही समाप्त कर दीर्घकालिक शांति मार्ग स्थापित करने की अपील की।

4. ब्रिक्स और SCO में कूटनीतिक गतिशीलता

यह तियानजिन में मोदी की पहली चीन यात्रा थी—पिछले सात वर्षों में—और इस शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने “कोल्ड वार मानसिकता व ड्राइंग लाइन” की आलोचना की, साथ ही “शंघाई आत्मा” के तहत साझा सहयोग की बात कही।

यह SCO सम्मेलन चीन की ओर से “ग्लोबल साउथ एकता” को प्रदर्शित करने और पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

5. रणनीतिक और वैश्विक संदर्भ

  • यह बैठक ऐसे समय हुई जब अमेरिका ने भारतीय आयातों पर भारी टैरिफ लगाए हैं, विशेषकर रूस से तेल खरीदी को लेकर—इस पर मोदी-पुतिन की साझेदारी संदेश देती है कि दोनों देश पश्चिमी दबाव के बावजूद सहयोग जारी रखना चाहते हैं।

  • शांति और सुरक्षा की दिशा में यह बैठक न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए, बल्कि वैश्विक तनाव को कम करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।

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