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‘धुरंधर’ के मुकाबले पाकिस्तान सरकार की फिल्म ‘मेरा लियारी’ का ऐलान

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पाकिस्तान में एक बार फिर सिनेमा और राजनीति के मेल ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। इस बार मामला पाकिस्तान के सिंध प्रांत से जुड़ा है, जहां सिंध सरकार ने फिल्म ‘मेरा लियारी’ बनाने की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि यह फिल्म भारत में बन रही फिल्म ‘धुरंधर’ के जवाब में लाई जा रही है। सरकार के इस ऐलान के बाद पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं और बड़ी संख्या में लोग इसे प्रोपेगेंडा फिल्म करार देते हुए ट्रोल कर रहे हैं।

सिंध सरकार के अनुसार ‘मेरा लियारी’ फिल्म का उद्देश्य कराची के लियारी इलाके की छवि को सकारात्मक रूप में दिखाना है। लियारी को लंबे समय से अपराध, गैंगवार और हिंसा के लिए बदनाम किया जाता रहा है। सरकार का दावा है कि इस फिल्म के जरिए लियारी की संस्कृति, खेल प्रतिभा और आम लोगों के संघर्ष को दुनिया के सामने लाया जाएगा। हालांकि आलोचकों का कहना है कि यह कदम कला या सिनेमा से ज्यादा राजनीतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा लग रहा है, खासकर तब जब इसका सीधा मुकाबला भारत की फिल्म ‘धुरंधर’ से जोड़कर देखा जा रहा है।

सोशल मीडिया पर यूजर्स ने इस ऐलान को लेकर जमकर तंज कसे हैं। कई लोगों ने सवाल उठाया कि जब पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट, महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है, तब सरकार का ध्यान फिल्मों के जवाब में फिल्म बनाने पर क्यों है। कुछ यूजर्स ने लिखा कि सरकार को फिल्म बनाने के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून-व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। वहीं कई मीम्स और व्यंग्यात्मक पोस्ट्स के जरिए ‘मेरा लियारी’ को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

उधर, मनोरंजन जगत के जानकारों का मानना है कि इस तरह की सरकारी फिल्मों का असर सीमित ही रहता है। उनका कहना है कि दर्शक अब कंटेंट को भावनात्मक और सच्चाई के पैमाने पर परखते हैं, न कि केवल राष्ट्रवाद या प्रतिक्रिया के नजरिए से। अगर फिल्म में दमदार कहानी और प्रस्तुति नहीं हुई, तो उसे जनता का समर्थन मिलना मुश्किल होगा, चाहे उसके पीछे सरकार ही क्यों न खड़ी हो।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह बहस तेज कर दी है कि क्या सिनेमा को राजनीतिक जवाबी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए? भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों के बीच ऐसी घोषणाएं दोनों देशों के सोशल मीडिया यूजर्स को आमने-सामने खड़ा कर देती हैं। हालांकि, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि अगर ‘मेरा लियारी’ वास्तव में इलाके की सच्ची तस्वीर और वहां की सकारात्मक कहानियों को सामने लाती है, तो यह एक सार्थक प्रयास साबित हो सकता है।

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