
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उनका सत्ता से हटना अचानक नहीं हुआ बल्कि यह पहले से योजनाबद्ध और रणनीतिक रूप से तैयार किया गया था। हसीना ने यह भी संकेत दिया कि देश में सत्ता का हस्तांतरण पहले से तय था और इसके पीछे एक गहरी राजनीतिक साजिश छिपी हुई थी।
हसीना ने खुलासा किया कि देश में चल रहे राजनीतिक विरोध‑प्रदर्शन, छात्र आंदोलनों और सार्वजनिक अशांति के बीच उन्हें सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में देश के भीतरी और बाहरी शक्तियों का हाथ हो सकता है, जिनका उद्देश्य बांग्लादेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित करना था।
राजनीतिक परिदृश्य
बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक संकट लगातार बढ़ रहा है। संसद विघटित हो चुकी है और देश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है। इस बीच, बड़े पैमाने पर विरोध‑प्रदर्शन और प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं। स्थिति इतनी संवेदनशील हो गई है कि नागरिक सुरक्षा और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।
हसीना ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सत्ता परिवर्तन में पारदर्शिता नहीं रखी गई और जनता की आवाज़ को अनसुना किया गया, तो देश में और अधिक अशांति और राजनीतिक अस्थिरता हो सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
हसीना के बयान के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और विशेषकर पड़ोसी देशों की नजरें बांग्लादेश पर केंद्रित हो गई हैं। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह के राजनीतिक संकट से न केवल बांग्लादेश की आंतरिक स्थिरता प्रभावित होगी, बल्कि दक्षिण एशिया क्षेत्र की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।



