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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: पहले चरण में 60% से अधिक मतदान, उत्साह के बीच विपक्ष–सत्ता की निगाहें जमीं

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बिहार में आज सम्पन्न पहले चरण के विधानसभा मतदान ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि लोकतंत्र की जड़ें इस राज्य में कितनी गहरी हैं। इस चरण में 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ। मतदान शाम 5 बजे तक लगभग 60.13 प्रतिशत दर्ज हुआ था, जबकि समय के साथ यह दर 64.46 प्रतिशत तक बढ़ गई। यह आंकड़ा पिछले चुनावों के मुकाबले उत्साह का संकेत देता है।

सरकार पक्षों और विपक्ष दोनों के लिए ये आंकड़े बेहद मायने रखते हैं — क्योंकि इस बार की जंग सिर्फ सीटों की नहीं बल्कि मानसिकता की भी है। सत्ता में काबिज़ National Democratic Alliance (एनडीए) यह देने का दावा कर रही है कि उन्होंने विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं, वहीं Mahagathbandhan विपक्षी गठबंधन इस बदलाव के नाम पर जनता को जोड़ने का प्रयास कर रही है।

मतदान के पहले चरण में कई अहम मोर्चे खुलकर सामने आए। मतदाताओं की लंबी कतारों, बूथ पर कड़ी निगरानी, शिकायतें और प्रचार का जोर — सब कुछ देखने को मिला। इस बीच, मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने सुबह मतदान कर लोकतंत्र की महत्ता पर जोर दिया और मतदाताओं से हिस्सा लेने की अपील की। वहीं विपक्षी चेहरा Tejashwi Yadav ने बदलाव की बात करते हुए कहा कि “नया बिहार बनेगा, नई सरकार बनेगी।”
आज के मतदान की शुरुआत में राज्यभर में सुबह-9 बजे तक लगभग 13.13 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिसमें कुछ जिलों ने 14–15 प्रतिशत का आंकड़ा पार किया था, वहीं कुछ में मतदान दर धीमी रही।मोकामा जिले में महिला मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं, यह संकेत था कि मतदान-उत्साह अपेक्षा से अधिक रहा।

लेकिन спокойना का माहौल रहने के बावजूद चुनौतियाँ भी सामने आईं। स्थान-स्थान पर मतदान धीमी गति से हुआ, बूथों पर शिकायतें दर्ज हुईं कि वोट कट रहे हैं, बिजली कटौती हुई, और एक-दो स्थानों पर विवादित घटनाएं हुईं। उदाहरण के लिए, रघुनाथपुर में कुछ मतदाताओं ने वोट न दालने की बात कही–उनका कहना था कि उनके पुराने वोटर कार्ड व आधार उपलब्ध थे, लेकिन उन्हें मतदान केंद्र में वोट नहीं डालने दिया गया।

प्रारंभिक विश्लेषण
इस पहले चरण के मतदान से यह संकेत मिल रहा है कि मतदाता इस बार सक्रिय हैं और बदलाव की दिशा में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। 60 % से ऊपर मतदान दर यह दिखाती है कि जनता मतदान को महत्ता दे रही है। हालांकि, जो जिलों में मतदान दर अभी थोड़ी कमजोर रही, वहाँ विपक्ष को मौका मिल सकता है।

एनडीए के लिए यह फेज अहम था क्योंकि वह “विकास की गारंटी” के आधार पर खुद को स्थिर दिखाना चाहता है, वहीं महागठबंधन के लिए यह मौका है कि विकास-विरोधी धार के बजाय बदलाव-विकास वाले विकल्प को जनता के सामने पेश किया जाए। बूथ-स्तर पर हुई शिकायतें इस बात का संकेत हैं कि मतदान प्रक्रिया पर सबकी नजर रही है और चुनाव आयोग ने भी कैमरों व निगरानी की व्यवस्था बढ़ाई है।

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