बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के तुरंत बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने भीतर उत्पन्न “बागी रुझानों” पर सख्त कार्रवाई की है। पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आर. के. सिंह को “पार्टी-विरोधी गतिविधियों” के आरोप में निलंबित कर दिया है, साथ ही कटिहार मेयर ऊषा अग्रवाल और एमएलसी अशोक अग्रवाल को भी समान कारण बताया गया है।
बीजेपी के शो-कॉज नोटिस में कहा गया है कि इन नेताओं के बयान और कार्यों ने पार्टी के अनुशासन को बाधित किया है और संगठन की छवि को नुक़सान पहुंचाया है। सिंह को नोटिस मिला है, जिसमें उन्हें एक सप्ताह के अंदर अपनी सफाई पेश करने को कहा गया है।
विशेष रूप से आर. के. सिंह ने बिहार में सोलर पावर प्रोजेक्ट (पावर प्लांट) में कथित घोटाले का आरोप लगाया था और एनडीए सहयोगी नेताओं और स्थानीय प्रशासन पर तीखे आरोप लगाए थे। भाजपा इस स्वायत्त तेवर को संगठनात्मक अनुशासन बनाए रखने में खतरा मान रही है।
निलंबन की अवधि छह वर्ष बताई जा रही है, जिसे BJP की अनुशासनात्मक कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। इस कदम से यह संदेश गया है कि चुनावी सफलता के बाद भी पार्टी “अनुशासनहीनता और प्रतिवाद” को बर्दाश्त नहीं करेगी।
