कल देर रात कांग्रेस की नेता Ragini Nayak ने सोशल मीडिया पर एक ए-आई जनरेटेड वीडियो साझा किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चायवाला’ के रूप में दिखाया गया — हाथ में चाय की केतली और गिलास लिए हुए, किसी उद्घाटन या ग्लोबल कार्यक्रम में चलते हुए। वीडियो के कैप्शन में लिखा था: “अब ये किसने किया बे”।
जैसे ही यह क्लिप सामने आई, मामला राजनीति और मीडिया दोनों में गरमा उठा। Bharatiya Janata Party (भाजपा) ने इस वीडियो को “शर्मनाक” और “प्रधानमंत्री का अपमान” बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। BJP प्रवक्ता Shahzad Poonawalla ने कहा कि यह वीडियो बताता है कि कांग्रेस कामगार पृष्ठभूमि वाले प्रधानमंत्री को स्वीकार नहीं करती — और उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस का तर्क है कि इस वीडियो का मकसद सिर्फ व्यंग्य और राजनीतिक टिप्पणी है — न कि किसी का अपमान। लेकिन विरोधी दलों ने इसे ‘डीपफेक’ और मानहानि वाला act कहा है। इससे पहले भी कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री या उनकी माँ पर आधार‐हीन वीडियो/पोस्ट साझा करने को लेकर विवाद हो चुका है, और हाल के मामलों में पुलिस ने FIR भी दर्ज की थी।
विशेषज्ञों की चिंता यह है कि इस तरह के ए-आई जनरेटेड वीडियो, विशेषकर जब वे राजनीतिक माहौल में इस्तेमाल होते हैं — वे सूचना का भरोसा तोड़ सकते हैं, मूल्यांकन को प्रभावित कर सकते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को जवाबदेही से दूर ले जा सकते हैं। साथ ही, यह सवाल खड़ा होता है कि क्या भारत में डिजिटल सामग्री के दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त कानून और नियम विकसित किए जाने चाहिए।
इस घटना ने एक बार फिर उजागर कर दिया है कि किस तरह नई तकनीक — जैसे ए-आई और डीपफेक — राजनीतिक रणनैतिक हथियार बन सकती है। आगे आने वाले समय में, डिजिटल मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर देख-रेख और जवाबदेही की मांग फिर से उठने वाली है।
