
दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट के बाद जांच टीम ने फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी को सख्त escrutiny में ले लिया है। क्राइम ब्रांच ने यूनिवर्सिटी पर दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं — एक धोखाधड़ी (cheating) और दूसरी जालसाज़ी (forgery) की धाराओं में।
इसी बीच, एनआईए ने यूनिवर्सिटी को नोटिस भेजकर कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज मांगे हैं, जिनमें डॉक्टरों के रेकॉर्ड, ट्रस्ट से जुड़ी रिपोर्ट्स, डॉर्म बिल्डिंग प्लान और मेडिकल कॉलेज की जानकारी शामिल है।
जांच के दौरान मिले डायरी और नोटबुक के पन्नों में दो साल से चल रही साजिश का खुलासा हुआ है — यूनिवर्सिटी के कुछ डॉक्टरों ने वहाँ रहते हुए कई हमलों की योजना बनाई थी। रिपोर्ट्स कहती हैं कि डायरी में 8-12 नवम्बर की तारीखों के बीच कई स्ट्राइक की तैयारियाँ रिकॉर्ड की गई थीं।
इसके अलावा, अल-फलाह के संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी की भी मुश्किलें बढ़ रही हैं — उन पर पहले से ही आपराधिक मामलों का आरोप है और अब फाउंडर के रूप में उनकी भूमिका को जांच एजेंसियाँ गंभीरता से देख रही हैं।
यूनिवर्सिटी की ओर से इसका खंडन करते हुए कहा गया है कि हिरासत में लिए गए डॉक्टरों से उनका सम्बंध केवल उनकी “ऑफिशियल ड्यूटी” तक ही सीमित है और परिसर में किसी तरह के अवैध रसायन या विस्फोटक नहीं रखे गए थे।
उक्त एफआईआर और नोटिस इस बात का संकेत देते हैं कि दिल्ली ब्लास्ट केवल एक अलग घटना नहीं, बल्कि बड़े और संगठित आतंकी नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। ऐसे में एजेंसियों द्वारा इस जाल की गहराई तक पहुँचने की कोशिश की जा रही है।



