
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ जोरों पर हैं और कांग्रेस पार्टी ने संभावित (probable) उम्मीदवारों की एक सूची जारी की है, जिसमें दिग्गज और स्थानीय नेताओं को प्राथमिकता दी गई है। इस सूची में प्रमुख नामों के रूप में भागलपुर से मौजूदा विधायक अजीत शर्मा और कुटुंबा क्षेत्र से राजेश राम को शामिल किया गया है, जो इस साल की रणभूमि में कांग्रेस की सक्रिय रणनीति को दर्शाता है।
अजीत शर्मा कांग्रेस के अनुभवी नेताओं में से एक हैं। पहले भी वे भागलपुर से विधायक रहे हैं और पार्टी की स्थानीय पहचान को मजबूत करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी सामाजिक स्वीकार्यता और इलाके में जमीनी पकड़ को देखते हुए, कांग्रेस ने उन्हें पुनः दावेदार बनने का प्रस्ताव दिया है। उनकी स्वीकार्यता को पार्टी नेतृत्व तथा स्थानीय कार्यकर्ताओं में एक सामंजस्य स्थापित करने वाला कदम माना जा रहा है।
वहीं, कुटुंबा सीट से राजेश राम का नाम सामने आना आश्चर्यजनक नहीं है। राजेश राम कांग्रेस के संगठनात्मक सरोकारों के अनुरूप ऐसा चेहरा हैं जो स्थानीय मुद्दों और समुदायों से जुड़े माने जाते हैं। कुटुंबा इलाके में उनका जनसंपर्क अच्छा माना जाता है, और पार्टी उन्हें चुनावी लड़ाई का मजबूत दावेदार मान रही है।
इस सूची की घोषणा यह संकेत देती है कि कांग्रेस पार्टी इस बार चुनावी मोर्चे पर स्थायित्व, अनुभवी नेतृत्व और स्थानीय समीकरणों का उपयोग करना चाहती है। ऐसा लगता है कि पार्टी ने “कीमती” और “प्रतिस्पर्धी” सीटों पर भरोसेमंद चेहरों को ही आगे किया है, और नई जगहों पर उतनी नई आवाज़ न देने का फैसला किया है।
हालांकि ध्यान देने योग्य है कि यह सूची अभी संभावित यानी प्रिंसिपल रूप से तैयार की गई है — अंतिम उम्मीदवारों की सूची चुनाव आयोग को नामांकन के समय तक और भी बदली जा सकती है। पार्टी के स्क्रीनिंग कमिटी, स्थानीय नेतृत्व और समीक्षाएँ इस सूची को अंतिम रूप देने में निर्णायक भूमिका निभाएँगी।
इस कदम से यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि कांग्रेस बिहार में अपनी राजनैतिक पुनरुत्थान की ओर ठोस कदम बढ़ा रही है। यदि अजीत शर्मा और राजेश राम को सफलतापूर्वक खड़ा किया जाए, तो यह कांग्रेस के लिए रणनीतिक जीत हो सकती है, खासकर उन इलाकों में जहाँ पार्टी के लिए चुनौती अधिक है।



