अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान में दावा किया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत जल्द ही रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर देगा। ट्रम्प ने कहा कि यह फैसला रूस पर आर्थिक दबाव बनाने की उनकी नई रणनीति का हिस्सा है, जो वर्तमान टैरिफ युद्ध (Tariff War) और यूक्रेन संघर्ष (Ukraine Conflict) के बीच लिया गया है।
ट्रम्प ने वाशिंगटन में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “भारत अब रूसी तेल नहीं खरीदेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में कदम उठाने की बात कही है। उन्होंने पहले ही डी-एस्केलेट करना शुरू कर दिया है।” राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि यह बदलाव तुरंत नहीं होगा, लेकिन आने वाले महीनों में भारत अपनी तेल खरीद नीति में बड़ा परिवर्तन करेगा।
हालाँकि, भारत की ओर से इस दावे का स्पष्ट खंडन किया गया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच हाल ही में कोई टेलीफोनिक बातचीत नहीं हुई और न ही ऐसी किसी प्रतिबद्धता की जानकारी है। मंत्रालय ने यह भी जोड़ा कि भारत की तेल नीति राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर तय की जाती है, किसी बाहरी दबाव में नहीं।
वहीं रूस की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है। रूसी उपप्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा कि रूस भारत के साथ अपने ऊर्जा संबंधों को “लंबे समय तक जारी” रखने को लेकर आश्वस्त है। उन्होंने बताया कि भारत रूस का एक “मित्रवत साझेदार” है और दोनों देशों के बीच तेल व गैस के क्षेत्र में व्यापारिक संबंध स्थिर हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत अभी भी रूस से सस्ते दाम पर कच्चा तेल खरीद रहा है, जिससे घरेलू कीमतों पर नियंत्रण बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो इससे भारत की ऊर्जा लागत बढ़ सकती है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रम्प प्रशासन रूस पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है और यूक्रेन-रूस युद्ध में रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिशें जारी हैं।
इस पूरे मामले ने अमेरिका-भारत संबंधों को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प ने अपने राजनीतिक बयान को मजबूत करने के लिए यह दावा किया, जबकि वास्तविक रूप से भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
