भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए अपना पहला स्वदेशी 3-डी एयर सर्विलांस रडार ‘लांजा-एन’ कमीशन कर लिया है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने स्पेन की रक्षा कंपनी इंद्रा (Indra) के सहयोग से इसे विकसित किया है। यह रडार युद्धपोतों पर लगाया जाएगा और दुश्मन के हवाई खतरों जैसे ड्रोन, सुपरसोनिक फाइटर जेट, एंटी-रेडिएशन मिसाइल और नौसैनिक प्लेटफार्मों को सटीक रूप से ट्रैक करने में सक्षम होगा। इसकी रेंज लगभग 254 नॉटिकल मील (करीब 470 किलोमीटर) बताई जा रही है, जो नौसेना की निगरानी क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी।
रडार का निर्माण और असेंबली भारत में ही की जा रही है। समझौते के तहत कुल 23 रडार बनाए जाएंगे, जिनमें तीन इंद्रा से सीधे आयेंगे और बाकी 20 यूनिट्स भारत में असेंबल होंगी। इसके लिए कर्नाटक में विशेष असेंबली, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग सुविधा स्थापित की गई है। यह परियोजना “मेक इन इंडिया” को मजबूत करने के साथ-साथ स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला और तकनीकी क्षमता को भी बढ़ावा देती है।
इस रडार का पहला यूनिट पहले ही एक युद्धपोत पर स्थापित किया जा चुका है और आने वाले महीनों में शेष रडार भी नौसेना के विभिन्न जहाजों पर तैनात किए जाएंगे। खराब मौसम, समुद्री नमी और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर जैसी चुनौतियों में भी यह प्रणाली भरोसेमंद तरीके से काम करने में सक्षम होगी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक भारतीय नौसेना को क्षेत्रीय स्तर पर और अधिक मजबूत बनाएगी और हवाई एवं समुद्री सुरक्षा के लिहाज से भारत को एक रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगी।
