हाल ही में IndiGo एयरलाइंस के परिचालन में आई व्यापक गड़बड़ी ने पूरे देश भर में यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मंगलवार व बुधवार से शुरू हुए संकट के बीच देश के प्रमुख एयरपोर्ट — दिल्ली, हैदराबाद, गोवा, तिरुवनंतपुरम (केरल) आदि पर यात्रियों की भीड़ उमड़ पड़ी है। अकेले दिल्ली में एक ही दिन में लगभग 150 फ्लाइट्स रद्द हुईं, जिससे तमाम यात्री अपने सामान के साथ टर्मिनल में ही रुकने को मजबूर हो गए।
घटनाओं के मुताबिक, तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर गुरुवार को कई उड़ानें रद्द या देरी से चलीं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। गोवा के डाबोलिम एयरपोर्ट पर भी स्थिति ऐसी थी कि कुछ यात्रियों की फ्लाइट रायपुर के लिए थी — लेकिन उसे कैंसल बता दिया गया। यात्रियों के अनुसार एयरलाइन द्वारा न तो सही सूचना दी गई, न ही उनके खाने व रहने का कोई इंतजाम। कई को अपनी कनेक्टिंग फ्लाइट मिस करने पड़ी।
हैदराबाद एयरपोर्ट पर हालात और बदतर रहे — वहां अकेले गुरुवार को 37 फ्लाइट्स रद्द की गईं। कई यात्रियों को रातभर फंसे रहने पर मजबूर होना पड़ा, जबकि एयरलाइन की ओर से न तो ठोस व्यवस्था थी, न ही संतोषजनक जानकारी। इस बीच कुछ यात्रियों ने एयरलाइन के खिलाफ नारेबाज़ी भी की — “इंडिगो बंद करो… इंडिगो मुर्दाबाद” तक कहे जाने लगे।
इस पूरे विवाद के पीछे कारण बताते हुए कहा जा रहा है कि नए DGCA के लागू किए गए फ्लाइट-ड्यूटी टाइम नियम (FDTL) और क्रू (पायलट व केबिन स्टाफ) की भारी कमी ने समस्या को जन्म दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, अप्रत्याशित रूप से लागू हुए नए नियमों के कारण इंडिगो अपनी उड़ानों को नियमित रूप से संचालित नहीं कर पा रही है, और उसकी तैयारी पर्याप्त नहीं थी।
कांग्रेस समेत राजनीतिक दलों ने इस पूरे हालात की निंदा करते हुए कहा है कि लाखों यात्रियों की योजनाएं चौपट हुईं। इसके अलावा, नागरिक उड्डयन मंत्री K. Rammohan Naidu ने इंडिगो को निर्देश दिया है कि संभावित उड़ान रद्दीकरण की सूचना यात्रियों को पहले से दें और किराया बढ़ाने की अनुमति न दी जाए। साथ ही, मंत्रालय ने इंडिगो से मांग की है कि उसकी परिचालन व्यवस्था में सुधार हो और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने।
इस संकट ने न सिर्फ यात्रियों को तनाव में डाला है, बल्कि देश की सबसे बड़ी डोमेस्टिक एयरलाइन की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में यह देखने वाली बात होगी कि इंडिगो अपनी उड़ानों को स्थिर करती है या फिर यात्रियों की नाराजगी और सरकार की सख्ती के बीच फंस जाती है।
