भारतीय महिला क्रिकेट टीम की शानदार जीत और उसके बाद उपजी खुशी-खुलासों के बीच एक बेहद संवेदनशील मामला सामने आया — जब उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के बावजूद Pratika Rawal को प्रारंभ में विजेता मेडल नहीं मिला था। लेकिन इसके बाद भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के महासचिव और International Cricket Council (ICC) अध्यक्ष Jay Shah ने सक्रिय रूप से हस्तक्षेप किया, जिससे आखिरकार Rawal को उनका “अपना” मेडल मिला।
यह मामला थोड़ा तकनीकी था। Pratika Rawal ने 2025 की महिला वर्ल्ड कप में टीम इंडिया के लिए शानदार योगदान दिया था, लेकिन चोट के कारण नॉक-आउट और फाइनल जैसे अंतिम चरण से बाहर हो गईं। ऐसे में ICC के नियमों के मुताबिक मेडल पाने के लिए टीम के अंतिम एक्टिव 15 सदस्यों या फाइनल में खेले सदस्यों में होना अनिवार्य था। Rawal इस श्रेणी में नहीं थीं, इसलिए उन्हें प्रारंभ में मेडल नहीं मिला।
इसलिए जब टीम ने अपने विजेता मेडलसेलिब्रेशन किया, तब Rawal को मेडल नहीं मिला। इस बीच सोशल मीडिया और खेल जगत में यह बात काफी चर्चा में आयी कि “क्यों एक योगदानकर्ता खिलाड़ी को मेडल से वंचित किया गया?” Rawal स्वयं ने माना कि शुरुआत में वे अधूरी-सी महसूस कर रही थीं। लेकिन फिर मामला बदल गया। Jay Shah ने Rawal के मैनेजर को मैसेज के माध्यम से बताया कि “मैं इस पर विचार कर रहा हूँ, कोशिश कर रहा हूँ कि तुम्हें भी अपना मेडल मिल सके।” Rawal ने कहा- “Jay Shah सर ने कहा कि ICC से बात कर रहे हैं, उन्होंने व्यवस्था की है कि मुझे मेरा मेडल मिले।”
कुछ स्रोतों के अनुसार, इस हस्तक्षेप के बाद ICC ने विशेष अनुमति या ऑफ-द-रूल प्रक्रिया अपनाई और Rawal को उनका मेडल सौंपा गया।
यह घटना क्यों मायने रखती है?
-
पहला, यह खेली-जिंदगी में न्याय-प्रक्रिया का मामला बन गयी: योगदान चाहे कम हो गया हो-लेकिन उस योगदान को मान्यता देने का सवाल उठा।
-
दूसरा, यह दिखाती है कि नियम हमेशा मानवीय भावनाओं और विशिष्ट परिस्थितियों से मेल नहीं खाते; और कभी-कभी ‘उपाय’ खोजना पड़ता है।
-
तीसरा, Rawal का मामला युवा-खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन गया— कि चोट या बाहर होने पर भी आपके काम की कीमत कम नहीं होती।
Rawal ने इंटरव्यू में यह भी बताया कि उन्हें टीम द्वारा थोड़ी देर बाद मेडल पहनाया गया था और उस दौरान उनका भावुक होना स्वाभाविक था। उन्होंने याद किया- “मैंने सुना था कि Jay Shah सर ने कहा है मुझे एक मेडल भेजा जा रहा है… मुझे बहुत खुशी हुई”।
क्या आगे-क्या हुआ?
अब इस मामले के बाद ICC के नियमों पर चर्चा बढ़ रही है। क्या ऐसे खिलाड़ियों को भी ‘मेडल योग्य’ माना जाना चाहिए जिनका योगदान समूह चरण में रहा हो लेकिन फाइनल में नहीं खेल पाए हों? Rawal का मामला इस सवाल को राज्यों पर ले आया है।
भारत की महिला टीम के लिए यह मामला सिर्फ मेडल का नहीं रहा, बल्कि मान-सम्मान और भागीदारी का संदेश बन गया है। Jay Shah का हस्तक्षेप इस बात का प्रतीक रहा कि अगर नियम-विधान कठोर भी हों, तो मानवीय-दृष्टिकोण से उन्हें ढालने का रास्ता मिल सकता है।
