संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने प्रयास किया कि बलोचिस्तान से जुड़े दो समूहों—बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) और उसकी मिलिट्री विंग मजीद ब्रिगेड—को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया जाए और उन पर प्रतिबंध लगे, लेकिन यह प्रस्ताव अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस की संयुक्त वीटो शक्ति के चलते खारिज हो गया। चीन ने पाकिस्तान के प्रस्ताव का समर्थन किया था।
पाकिस्तान ने यह प्रस्ताव यूएन सुरक्षा परिषद की सेक्शन 1267 प्रणाली (जैसे की अलकायदा या आईएसआईएस से जुड़े आतंकी समूहों पर लागू होने वाला प्रावधान) के तहत पेश किया था, ताकि BLA और मजीद ब्रिगेड को उसी तरह की वैश्विक आतंकी सूची में शामिल किया जाए। लेकिन अमरीका ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए यह कहा कि प्रस्तावित बयानों और सबूतों में यह स्थापित नहीं होता कि ये संगठन अलकायदा या आईएसआईएस से जुड़े हैं। इस प्रकार की श्रेणीबद्धता के लिए आवश्यक कानूनी एवं तथ्य-आधारित बुनियाद प्रस्ताव में पर्याप्त नहीं पाई गई।
पाकिस्तान ने पिछले महीने ही BLA और मजीद ब्रिगेड को अमेरिकी विदेश विभाग के दृष्टिकोण से “विदेशी आतंकी संगठन” (Foreign Terrorist Organization) घोषित किया है। यह कदम पाकिस्तान के अंदरूनी नीतिगत दृष्टिकोण का एक हिस्सा माना जा रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया।
बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इस तरह के आरोपों को अस्वीकार किया है। उनका दावा है कि वे एक “मातृभूमि रक्षा सेनानी संगठन” हैं और उनका लक्ष्य सिर्फ बलोचिस्तान में पाकिस्तानी शासन की शोषक नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करना है, न कि व्यापक आतंकवाद फैलाना।
इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि अंतरराष्ट्रीय मैदान पर, विशेषकर यूएन की सुरक्षा परिषद में, किसी संगठन को “वैश्विक आतंकी संगठन” घोषित करने के लिए सिर्फ एक देश या दो देशों की सहमति पर्याप्त नहीं होती, बल्कि विस्तृत तथ्यों, कानूनी प्रक्रिया और राजनीतिक संतुलन की ज़रूरत होती है।
