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International Cricket Council पर पाकिस्तान का सवाल-निशान: अफगान क्रिकेटरों की मौत पर बयान ‘पक्षपातपूर्ण’ माना गया

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क्रिकेट-विश्व में छाई इस घटना ने सिर्फ खेल से जुड़े मामले नहीं उठाए, बल्कि राजनैतिक एवं कूटनीतिक परतों में भी गहरी धँसी हुई है। जब अफगानिस्तान के तीन युवा क्रिकेटरों की Paktika Province में कथित वायु हमले में मौत हुई, तब ICC ने वर्ष 2025 की इस दुखद घटना पर अपनी संवेदना व्यक्त की थी। इस बयान में भारत का क्रिकेट बोर्ड Board of Control for Cricket in India (BCCI) भी शामिल हुआ था।

लेकिन इस बयान को पाकिस्तान ने ‘चुनिंदा’, ‘तार्किक रूप से एक-पक्षीय’, और ‘पूरी तरह से सत्यापन-रहित’ बताते हुए गंभीरता से अस्वीकार किया है। पाकिस्तानी सूचना मंत्री Attaullah Tarar ने कहा कि ICC ने अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) द्वारा प्रस्तुत तथ्यों का स्वतंत्र सत्यापन नहीं किया और ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान पर दोषारोपण पहले ही तय कर लिया गया था।

पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ने कहा:

“यह स्पष्ट रूप से एक पूर्वनिर्धारित स्थित-प्रचार है। ICC ने पाकिस्तान को जिम्मेवार ठहराया-सा बयान दिया, जबकि हमारे पास इस तरह की घटना के सम्बन्ध में किसी वस्तुनिष्ठ प्रमाण या निष्पक्ष जाँच के प्रमाण नहीं हैं।”

असल में यह विवाद उस पृष्ठभूमि में उठ रहा है, जहाँ पाक-अफगान सीमा पर तनाव लगातार बढ़ा है। अफगानिस्तान में तीन क्रिकेटरों की मौत उस वायु हमले का हिस्सा मानी जा रही है जिसे पाकिस्तानी सैन्य अभियान के परिणाम-स्वरूप बताया जा रहा है। ICC ने इस हमले की निंदा की थी और कहा था कि क्रिकेट-विश्व ने एक-असाधारण घटना देखी है जिसमें “उगे हुए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों” को खोया गया।

पाकिस्तान का कहना है कि इस तरह के खेल-प्रबंधन अधिकारी बयान, बहुत ही शीघ्रता में जारी किए गए और उसमे तथ्य-आधार का अभाव था। उन्होंने ICC पर सवाल उठाया है कि क्या उसकी निष्पक्षता और स्वायत्तता प्रश्नवाचक हुई है।

विश्लेषकों के अनुसार, इस मामले का प्रभाव केवल खेल के दायरे में नहीं रहेगा — यह दक्षिण एशिया में खेल-कूटनीति, सुरक्षा-संबंध और मीडिया-सम्बन्धी धारणाओं को भी प्रभावित कर सकता है। जहां अफगान क्रिकेट बोर्ड ने आगामी त्रिकोणीय श्रृंखला से अपने देश की टीम को बाहर कर लिया है, वहीं पाकिस्तान ने उस टूर्नामेंट में विदेश टीम को स्थान देने का प्रस्ताव किया है।

इस तरह किया गया हैः

इस विवाद ने एक बड़ी बात उजागर की है — कि आज खेल संगठन केवल खेल-उपक्रम नहीं रहे, बल्कि वे अंतरराष्ट्रीय संबंधों, राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और संवेदी राजनीति के केंद्र में भी आ गए हैं। जब क्रिकेट बोर्ड या अंतरराष्ट्रीय संघ ऐसी घटनाओं पर बयान देते हैं, तो इसके पीछे सिर्फ खेल-हित नहीं रहता; वह सांप्रदायिक, भू-राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक आयाम भी ले लेता है।

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