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“पंजाब में तबाही: 46 मौतें, 2,000 गांव डूबे—पीएम मोदी जल्द करेंगे प्रभावित इलाकों का दौरा”

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हालिया मानसून में पंजाब में आई भीषण बाढ़ ने जन-जीवन पर कहर बरपा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इस जानलेवा आपदा में 46 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। लगभग 23 जिलों के 1,996 गांव पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं और राज्य की लगभग 3.87 लाख जनता प्रभावित हुई है।

राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं। एनडीआरएफ (24 टीमें), सेना, सीमा सुरक्षा बल (BSF), पंजाब पुलिस और जिला प्रशासन मिलकर 22,854 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा चुके हैं। 200 से अधिक राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें हजारों विस्थापित आश्रय लिए हुए हैं।

पंजाब के वित्त मंत्री हरप्रीत सिंह चीमा ने इस बाढ़ को पिछले पाँच दशकों की सबसे गंभीर तबाही बताया। उन्होंने बताया कि पोंग बांध और भाखड़ा जलाशयों का जलस्तर खतरनाक सीमा से ऊपर बना हुआ है, जिससे बचाव कार्य और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।

इस आपदा के मद्देनज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 सितंबर 2025 को पंजाब, विशेषकर गुरदासपुर ज़िले के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे। वे वहां की स्थिति का हवाई सर्वेक्षण करेंगे और प्रभावित लोगों एवं किसानों से संवाद करेंगे। इससे पहले 1 सितंबर को पीएम ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से बात कर केंद्र की ओर से पूर्ण सहयोग का भरोसा दिया था।

पंजाब सरकार ने इस आपदा से हुई आर्थिक क्षति को लगभग ₹13,289 करोड़ आंका है और केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग भी की है। इस बीच, राज्य सरकार ने लगभग ₹71 करोड़ की त्वरित राहत राशि जारी की है, और विधायक एक महीने की तनख्वाह भी दान करने को तैयार हैं।

केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव भी जारी है—कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने इस बाढ़ को “मानव निर्मित” बताया और केंद्र पर राहत तो दूर, राजनीतिक शो करने का आरोप लगाया है। वहीं, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल किसानों के लिए कर्ज माफी और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

संघीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़ के कारणों में अवैध खनन को दोषी ठहराया और कहा कि इससे नदियों के बांध कमजोर हुए। पंजाब सरकार ने इसे आधारहीन करार दिया है।

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