सऊदी अरब ने जनवरी 2026 से विदेशी नागरिकों को अपनी रियल एस्टेट मार्केट में घर, जमीन और खेत खरीदने की अनुमति देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह कदम सऊदी की “विजन 2030” की आर्थिक रूप से विविधता लाने वाली रणनीति का एक अहम हिस्सा है, जिसका मकसद देश में वैश्विक निवेश को बढ़ावा देना और तेल-आधारित अर्थव्यवस्था से आगे का रास्ता बनाना है।
इस नए नियम के अंतर्गत, गैर-सऊदी नागरिक और विदेशी कंपनियाँ कुछ “नियुक्त ज़ोनों” में संपत्ति खरीद सकेंगी। सर्वर रियल एस्टेट अथॉरिटी (REGA) इस परिवर्तन की निगरानी करेगी और विदेशी निवेशकों के लिए खरीद-प्रक्रिया को आसान बनाने में भूमिका निभाएगी।
भारत और एनआरआई निवेशकों पर असर
यह परिवर्तन विशेष रूप से भारतीय प्रवासियों (एनआरआई) के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों को अब कानूनी रूप से अपनी संपत्ति खरीदने का मौका मिलेगा — यह कदम उन्हें किराया देने के बजाय स्थिरता और संपत्ति स्वामित्व का विकल्प दे सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। अभी तक बहुत से एनआरआई भारतीय बाजार में निवेश करते रहे हैं, लेकिन अब कुछ निवेशक अपनी पूंजी को भारत से सऊदी अरब में स्थानांतरित करने की सोच सकते हैं। इसी तरह, सऊदी रियल एस्टेट एक वैकल्पिक, उच्च-विकास और कर-मुक्त (या अपेक्षाकृत कम टैक्स वाला) निवेश विकल्प बन सकता है, जिससे भारत के प्रॉपर्टी सेक्टर को एनआरआई फंडिंग के मामले में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरी ओर, भारत में रियल एस्टेट का मार्केट अभी भी मजबूत है और संस्थागत निवेशकों का भरोसा बना हुआ है। इसलिए, भले ही कुछ विदेशी पूंजी सऊदी की ओर जाए, भारतीय रियल्टी सेक्टर में दीर्घकालीन उछाल की संभावनाएँ कम नहीं होंगी।
नए कानून के तकनीकी पक्ष पर भी काम चल रहा है। सऊदी सरकार ने ‘डिजिटल आईडी’ व्यवस्था को मंजूरी दी है ताकि विदेशी खरीदारों को प्रॉपर्टी पंजीकरण और खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया में सरलता मिल सके। इसके लिए Absher प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा, और विदेशी निवेशकों को एक सऊदी बैंक खाता और स्थानीय संपर्क नंबर से परिचालन करना होगा।
संभावित चुनौतियाँ और भारतीय रियल एस्टेट के लिए नज़रिया
हालाँकि यह कदम आर्थिक दृष्टि से आकर्षक है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं। सबसे पहले, विदेशी संपत्ति धारकों पर नियमन और शुल्क संबंधी नियम हो सकते हैं, और गलत प्रबंधन से सस्ते निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय डेवलपर्स और नीति निर्माता को एनआरआई निवेश को बनाए रखने के लिए अधिक प्रोत्साहन नीतियाँ तैयार करनी पड़ सकती हैं।
इसके अलावा, भारत के घरेलू रियल एस्टेट बाजार को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह निवेशकों के लिए प्रतिस्पर्धी बने — चाहे यह टैक्स स्ट्रक्चर हो, विकास अवसर हो या लॉन्ग टर्म रिटर्न की स्पष्टता।
नज़रिया
यह सऊदी अरब का नया रियल एस्टेट लॉ न सिर्फ विदेशी निवेशकों के लिए दरवाज़ा खोलता है, बल्कि भारतीय प्रवासियों को एक नई संपत्ति-मंज़िल का विकल्प भी देता है। यह कदम दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को एक नए अर्थ में जोड़ता है — निवेश की धारा री-डायरेक्ट हो सकती है, जिससे भारत में एनआरआई-फंडेड प्रॉपर्टी सेक्टर पर दबाव बन सकता है। लेकिन साथ ही, यह भारत को अपनी रियल एस्टेट रणनीति को और अधिक ग्लोबलाइज करने और मौजूदा निवेशकों को बनाए रखने की चुनौती देता है।
