Taliban ने पाकिस्तान को साफ-साफ कह दिया है कि अब वह तीसरे देश की धरती का इस्तेमाल किसी हमले के लिए नहीं होने देगा और अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। यह बयान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुई वार्ता के तीसरे दौर के बेनतीजे रहने के बाद आया है।
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री Khawaja Asif के कड़े बयानों के बाद अफगानिस्तान ने इसे आपत्तिजनक रवैये के रूप में देखा है—वे कहते हैं कि उनके देश की धरती को किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ उपयोग नहीं होने देंगे।
तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान के मुस्लिम भाइयों के साथ उनका संबंध है, लेकिन यह संबंध उनके सीमित क्षेत्रों तक ही है—उनका कहना है कि वह पाकिस्तान के लिए “पुलिस एजेंट” का काम नहीं करेंगे और न ही ऐसे वादे करेंगे जिनका इस्तेमाल बाहरी हस्तक्षेप को सही ठहराने के लिए किया जा सके।
इस घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि दो पड़ोसी राष्ट्रों के बीच तनाव बढ़ने का जोखिम है। वार्ता बेनतीजा रहने, उत्पीड़न और गहरी असहमति की वजह से अब दोनों पक्षों के बीच संवाद की जगह बदला-ख्तमैशा (retaliation) का माहौल बन सकता है। प्रमुख विश्लेषकों के अनुसार, इस तरह का गतिरोध न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा को चुनौती देता है, बल्कि वैश्विक आतंकी नेटवर्क्स की घुसपैठ के लिए भी अवसर उत्पन्न कर सकता है।
