
बिहार की राजनीति में एक नये तूफान की शुरुआत होती दिख रही है। जनशक्ति जनता दल (JanShakti Janata Dal) के संस्थापक और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने हाल ही में एक विशेष बातचीत में राजनीति, परिवार एवं भावी योजनाओं को लेकर कई खुलासे किए हैं। इस बातचीत में प्रमुख रूप से उन्होंने अपनी बहन रोहिणी आचार्य के कथित अपमान पर तीखा रुख अपनाया और कहा कि यह व्यक्तिगत मामला है, लेकिन इसका राजनीतिक असर भी अनदेखा नहीं किया जाएगा।
तेज प्रताप ने बताया कि वह मूल रूप से महुआ को अपना राजनीतिक केंद्र मानते हैं। उनका कहना था कि वहां उन्होंने वर्षों से काम किया है, लोगों के बीच उनकी स्वीकार्यता अधिक है। अगर परिस्थिति ज़रूरत पड़ी तो वे हसपुरा से भी नामांकन कर सकते हैं, पर फिलहाल फोकस महुआ पर ही अधिक है। उन्होंने यह बात कहते हुए कहा कि “समय आने पर देखा जाएगा” कि किन जगहों से चुनाव लड़ना है, लेकिन अभी प्राथमिकता महुआ की है।
जब उनसे उनके परिवार के मतभेदों के बारे में पूछा गया, विशेष रूप से रोहिणी आचार्य को लेकर — तो उन्होंने बहुत ही स्पष्ट स्वर में कहा कि जो अपमान हुआ, उसका बदला जनता लेगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि तेजस्वी यादव इस बात से चौकेंगे, क्योंकि यह मामला सिर्फ पारिवारिक नहीं रहेगा। तेज प्रताप ने यह भी कहा कि जनता दरबार उनके पास चौबीसों घंटे खुला रहता है — आने वाले व्यक्ति पर रोक-टोकी नहीं की जाती।
राजनीति की दिशा-निर्देशों पर भी उन्होंने ठोस विचार साझा किए। उन्होंने कहा है कि वे कभी आरजेडी में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने दृढता से कहा कि उन्होंने कसम ले रखी है और माता-पिता ने उन्हें आशीर्वाद दिया है कि वे अपनी पार्टी को आगे बढ़ाएँ। उन्होंने यह भी कहा कि आज के अधिकांश नेता जनता से दूर हो गए हैं — लेकिन राजनीति का मूल आधार जनता ही है, और वे उसी पर भरोसा करते हैं।
प्रशांत किशोर (Prachand Kishor) को लेकर उन्होंने एक द्विअर्थी बयान दिया — कहा कि यदि वे विचारधारा अपना कर आएं, तो स्वागत है। उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि यदि कोई विकास की विचारधारा स्वीकार कर ले, तो कोई व्यक्ति किसी भी पृष्ठभूमि से आ सकता है। इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी की राजनीति पर भी कटाक्ष किया — कहा कि वे गांधीवाद को मानते हैं लेकिन खादी नहीं अपनाते।
बिहार के लिए कांग्रेस, आरजेडी, और अन्य दलों के बीच गठबंधन की संभावनाओं को लेकर उन्होंने एक संतुलित रुख अपनाया — कहा कि जो विचारधारा उनके साथ खड़ी हो, वह उनका सहयोग स्वीकार करेंगे। उन्होंने पलायन की समस्या को बिहार का सबसे बड़ा मुद्दा बताया और कहा कि जहाँ कहीं बिहारियों के साथ अन्य राज्य में भेदभाव होता है, उस पर उनका गहरा दुख है।
इस वक्त यह स्पष्ट है कि तेज प्रताप यादव ने केवल एक राजनीतिक दल की नींव रखी है, बल्कि वे पारिवारिक संबंधों और सत्ता समीकरणों के बीच संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। रोहिणी आचार्य के अपमान विवाद ने पहले ही हलचल मचा दी है, और तेज प्रताप के तेवर से यह उम्मीद जगती है कि आगे और बयान, विवाद और राजनीतिक जवाबी करवाई सामने आएंगी।



