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उत्तर प्रदेश में 1 सितंबर से लागू हुई “नो हेलमेट, नो फ्यूल” नीति: बिना हेलमेट नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल

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उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए राज्य भर में “नो हेलमेट, नो फ्यूल” नीति लागू कर दी है। यह नीति 1 सितंबर 2025 से प्रभावी हुई है और इसका उद्देश्य दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनने की आदत डालना है। सरकार का मानना है कि यह नियम सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों और गंभीर चोटों को काफी हद तक कम कर सकता है।

क्या है ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ नीति?

इस नीति के अंतर्गत अब पेट्रोल पंप पर किसी भी दोपहिया वाहन चालक को तब तक पेट्रोल या डीजल नहीं दिया जाएगा जब तक उसने हेलमेट न पहना हो। इसका सख्ती से पालन कराने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, परिवहन विभाग और अन्य एजेंसियों को निर्देश जारी किए गए हैं।

कहां-कहां लागू हो रहा है यह अभियान?

यह नियम पूरे उत्तर प्रदेश में लागू किया गया है, विशेष रूप से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के पेट्रोल पंपों पर निगरानी की जा रही है। इस अभियान की निगरानी के लिए संयुक्त टीमें बनाई गई हैं जो पेट्रोल पंपों पर जाकर निरीक्षण कर रही हैं।

कब तक चलेगा यह अभियान?

यह विशेष अभियान 1 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर 2025 तक चलेगा। हालांकि, सरकार इसके बाद भी इसे स्थायी नियम के तौर पर लागू करने पर विचार कर रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह कदम लोगों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है, न कि उन्हें परेशान करने के लिए। उन्होंने कहा, “पहले हेलमेट, फिर ईंधन” का संदेश हर नागरिक तक पहुंचना चाहिए।

नकली हेलमेट पर चिंता

हालांकि, इस अभियान के साथ एक नई चिंता भी उभर कर सामने आई है—बाजार में मिलने वाले सस्ते और नकली हेलमेट। हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार, सड़क किनारे ₹100-₹150 में मिलने वाले करीब 95% हेलमेट मानकों पर खरे नहीं उतरते। ऐसे नकली हेलमेट पहनकर लोग नियम तो पूरा कर सकते हैं, लेकिन अपनी जान को जोखिम में डालते हैं।

पेट्रोल पंप मालिकों की भूमिका

पेट्रोल पंप संचालकों को इस नियम का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। यदि कोई पंप इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। प्रशासन ने जनता से भी अपील की है कि वे बिना हेलमेट पेट्रोल मांगने पर पेट्रोल पंप पर बहस न करें।

लोगों की प्रतिक्रिया

कुछ लोग इस अभियान का स्वागत कर रहे हैं और इसे एक ज़रूरी कदम मानते हैं, वहीं कुछ का कहना है कि पहले सरकार को सस्ते और मानक हेलमेट की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।

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