Site icon Prsd News

“जस्टिस बी.आर. गवई की प्रेरणादायक यात्रा: पिता की भविष्यवाणी से लेकर भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश बनने तक”

Untitled design 13

भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस बी.आर. गवई की यात्रा न केवल कानूनी क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में समानता और समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। उनके पिता, आर.एस. गवई, जो रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक और डॉ. भीमराव अंबेडकर के करीबी सहयोगी थे, ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। आर.एस. गवई ने अपने बेटे से कहा था, “एक दिन तुम मुख्य न्यायाधीश बनोगे,” यह भविष्यवाणी आज सच साबित हुई है।

📘 शिक्षा की शुरुआत – एक साधारण से असाधारण तक

जस्टिस गवई की शिक्षा की शुरुआत महाराष्ट्र के अमरावती स्थित नगरपालिका प्राथमिक विद्यालय से हुई थी। जब उनके पिता महाराष्ट्र विधान परिषद के उपाध्यक्ष बने, तब वे मुंबई के “चिकित्सा समूह माध्यमिक शाला” में पढ़ने लगे। हालांकि उनके भाई-बहन कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ते थे, लेकिन जस्टिस गवई ने मराठी माध्यम से पढ़ाई की।

उनकी मां, कमलताई गवई, को हमेशा यह चिंता थी कि मराठी स्कूल में पढ़ाई करने से उनका बेटा अंग्रेज़ी में पिछड़ सकता है। इसी कारण उन्होंने ज़ोर देकर उनका दाखिला कोलाबा के होली नेम हाई स्कूल में कराया, जहाँ से जस्टिस गवई ने आगे की शिक्षा ली।

⚖️ कानूनी करियर की शुरुआत

जस्टिस गवई ने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की शुरुआत की। 1990 के बाद उन्होंने नागपुर में भी वकालत की और अपनी दक्षता से पहचान बनाई। उनका न्यायिक सफर उच्च आदर्शों और निष्पक्षता का उदाहरण बन गया।

🗣️ वरिष्ठ वकीलों की प्रतिक्रिया

वरिष्ठ वकील और सांसद डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा:

“मैंने अब तक जितने भी न्यायाधीश देखे हैं, उनमें जस्टिस गवई सबसे व्यावहारिक और परिणाम-केंद्रित जजों में से एक हैं।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी जस्टिस गवई की सराहना करते हुए कहा:

“वे अत्यंत प्रतिभाशाली और विनम्र हैं। इतने ऊंचे संवैधानिक पद पर होने के बावजूद वे ज़मीन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं — बौद्धिक रूप से स्वतंत्र और पूर्णतः निष्पक्ष।”

Exit mobile version