
दुनिया की अलग-अलग सभ्यताओं और जनजातियों में आज भी ऐसी परंपराएं देखने को मिलती हैं, जो आधुनिक समाज के लिए चौंकाने वाली हो सकती हैं। चीन की गेलाओ (Gelao) जनजाति की एक प्राचीन परंपरा भी कुछ ऐसी ही है, जिसमें शादी से पहले महिलाओं के दांत निकाल दिए जाते थे। यह परंपरा आज के नजरिये से भले ही अमानवीय या अजीब लगे, लेकिन अपने समय और सामाजिक सोच के हिसाब से इसका एक खास सांस्कृतिक महत्व था। यह परंपरा खासतौर पर दक्षिण-पश्चिम चीन के पहाड़ी इलाकों में रहने वाली गेलाओ जनजाति में प्रचलित थी।
इतिहासकारों और मानवशास्त्रियों के अनुसार, गेलाओ जनजाति में यह मान्यता थी कि महिलाओं के दांत सुंदरता, चरित्र और सामाजिक पहचान से जुड़े होते हैं। शादी से पहले दांत निकलवाना दरअसल यह दिखाने का प्रतीक माना जाता था कि लड़की अब बचपन से निकलकर वयस्कता और वैवाहिक जीवन में प्रवेश कर रही है। समाज में यह एक तरह की राइट ऑफ पैसेज (rite of passage) थी, जिसे निभाना जरूरी समझा जाता था। बिना इस प्रक्रिया के शादी को अधूरा माना जाता था और ऐसी लड़की को सामाजिक मान्यता नहीं मिलती थी।
इस परंपरा के पीछे एक और वजह यह भी बताई जाती है कि उस दौर में जनजातीय समाज में महिलाओं की निष्ठा और संयम को बहुत महत्व दिया जाता था। ऐसा विश्वास था कि दांत निकलवाने से महिला ज्यादा शांत, सहनशील और आज्ञाकारी बनेगी। कुछ कथाओं में यह भी कहा गया है कि तेज और सफेद दांतों को आक्रामकता या छल से जोड़कर देखा जाता था, इसलिए उन्हें हटाना सामाजिक सुरक्षा और पारिवारिक सम्मान से जोड़ दिया गया था। हालांकि, यह मान्यताएं पूरी तरह सामाजिक सोच पर आधारित थीं, न कि किसी वैज्ञानिक आधार पर।
समय के साथ-साथ जैसे-जैसे आधुनिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और बाहरी दुनिया से संपर्क बढ़ा, इस परंपरा पर सवाल उठने लगे। नई पीढ़ी ने इसे दर्दनाक और गैर-जरूरी मानते हुए धीरे-धीरे त्यागना शुरू किया। चीनी सरकार और सामाजिक संगठनों के हस्तक्षेप के बाद अब यह प्रथा लगभग समाप्त हो चुकी है और केवल इतिहास और लोककथाओं तक सीमित रह गई है। आज गेलाओ जनजाति की महिलाएं आधुनिक जीवनशैली अपना रही हैं और ऐसी परंपराओं को अतीत की निशानी के रूप में देखा जाता है।
यह कहानी हमें यह समझने में मदद करती है कि किसी भी समाज की परंपराओं को केवल आज के नजरिये से आंकना हमेशा सही नहीं होता। हर रिवाज अपने समय, परिस्थितियों और सामाजिक ढांचे से जुड़ा होता है। गेलाओ जनजाति की यह परंपरा भले ही आज अस्वीकार्य लगे, लेकिन यह उस दौर की सोच, विश्वास और सांस्कृतिक संरचना को दर्शाती है। बदलते समय के साथ जैसे समाज आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे परंपराएं भी बदलती हैं, और यही मानव सभ्यता की सबसे बड़ी खासियत है।



