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नीतीश की नई कैबिनेट में “परिवारवाद” का आरोप

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बिहार में नई एनडीए सरकार के गठन के साथ ही राजनीति का एक पुराना मुद्दा फिर उभर कर सामने आया है: परिवारवाद। ABP Live की रिपोर्ट के मुताबिक, RJD (राष्ट्रीय जनता दल) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 26-सदस्यीय मंत्रिमंडल सूची पर तीखा हमला किया है और आरोप लगाया है कि इसमें “घोर परिवारवाद” देखने को मिल रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि RJD की ओर से सोशल मीडिया पर जारी की गई सूची में कई ऐसे मंत्रियों के नाम शामिल हैं जो राजनीतिक परिवारों से आते हैं।उदाहरण के तौर पर, जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन, सम्राट चौधरी, दीपक प्रकाश, श्रेयसी सिंह, रमा निषाद, विजय चौधरी, अशोक चौधरी, सुनील कुमार और लेसी सिंह के नाम विशेष रूप से उठाए गए हैं।

RJD का आरोप है कि इन नामों से साफ लगता है कि सत्ता बांटने की प्रक्रिया में “पारिवारिक संबंधों” को अहमियत दी गई है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि आखिर PM नरेंद्र मोदी का नाम क्यों शपथ-समारोह की बातों में जोड़ा गया, और यह महत्त्व क्यों दिया गया।

यह आरोप उस संदर्भ में और ज्यादा संवेदनशील हो जाता है क्योंकि बिहार की राजनीति में “सामाजिक न्याय” और “प्रतिनिधित्व” का बड़ा मुद्दा रहा है। नई कैबिनेट गठन में जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा गया है — रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न जातिगत समूहों को शामिल करने का प्रयास किया गया है, लेकिन RJD का कहना है कि सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर अपने-अपने लोगों को मंत्रालय दिए जा रहे हैं।

RJD नेता तेजस्वी यादव ने शपथ ग्रहण के बाद ट्विटर (या X) पर कहा है कि नई सरकार को जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की है कि सरकार अपने वादों को पूरा करे और बिहार में सकारात्मक बदलाव लाए।

विश्लेषण करें तो, यह आरोप केवल व्यक्तिगत लाभ की नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक संरचना पर एक बड़ी चुनौती पेश करता है। यदि परिवारवाद इस स्तर पर सच है, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सत्ता-विरासत के सिद्धांतों पर सवाल खड़े करता है। यह भी देखा जाना होगा कि आम लोगों की अपेक्षाएँ — जैसे रोजगार, विकास, और न्याय — इन नियुक्तियों के बाद कैसे पूरी होती हैं।

आगे का रास्ता इस बात पर निर्भर करेगा कि विपक्ष (RJD) इस मुद्दे को कितना जोर दे पाता है और जनता इसमें कितनी प्रतिक्रिया देती है। साथ ही, कैबिनेट में शामिल ये नाम यह तय करेंगे कि नई सरकार न सिर्फ “परिवारवाद” के आरोपों से निपट सके, बल्कि विश्वास और उम्मीद भी कायम रखे।

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