
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र में “ओम शांति ओम” से किया भाषण का समापन
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने अपने भाषण का समापन “ओम शांति ओम” कहकर किया, जिससे हॉल में एक खास माहौल बन गया। प्रबोवो ने भाषण की शुरुआत भी संस्कृत अभिवादन “ओम स्वस्तिस्तु” से की, जो खास तौर पर इंडोनेशिया के बाली क्षेत्र में प्रचलित है।
राष्ट्रपति प्रबोवो ने अपने भाषण में विश्व को जातिवाद, घृणा और उत्पीड़न से ऊपर उठने का आह्वान किया। उन्होंने सभी धर्मों जैसे यहूदी, इस्लाम, ईसाई, हिंदू और बौद्ध धर्म को एक मानव परिवार बताते हुए वैश्विक शांति और सौहार्द की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि हिंसा से कोई समस्या हल नहीं होती और सभी को मिलकर न्याय और समानता की राह अपनानी होगी। इसके अलावा, प्रबोवो ने फिलिस्तीन-इज़राइल विवाद में दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया और कहा कि इंडोनेशिया शांति स्थापना के लिए सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है।
संस्कृत के इन अभिवादनों ने वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक विरासत की गूंज को भी दर्शाया। यह दर्शाता है कि कैसे प्राचीन संस्कृत शब्दों और संस्कृतियों का उपयोग आज के दौर में भी शांति और एकता का संदेश देने के लिए किया जा सकता है।