प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 सितंबर, 2025 को राष्ट्र को संबोधित करते हुए जीएसटी (गुड्स और सर्विसेज टैक्स) सुधारों की शुरुआत के अवसर पर एक ख़त लिखी है, जिसमें उन्होंने देशवासियों से संवाद करते हुए नई जीएसटी दरों, उपभोक्ताओं व व्यापारियों दोनों के लिए राहत और “जीएसटी बचत उत्सव” का कार्यक्रम शुरू होने की सूचना दी।
उन्होंने बताया कि 22 सितंबर से, यानी नवरात्रि के पहले दिन से नई जीएसटी दरें लागू होंगी, जो कर दरों की सादगी और व्यापक राहत सुनिश्चित करेंगी। इन सुधारों के तहत लगभग 375 वस्तुओं पर कर दरों में कटौती की गई है, जिनमें दैनिक उपयोग की चीजें जैसे दूध, पनीर, बटर, नमकीन, जैम-चटनी आदि शामिल हैं।
पीएम मोदी ने इस पहल को ‘स्वदेशी’ एवं आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे “Made in India” उत्पाद खरीदें, महसूस करें कि जो खरीदा जाए और जो बेचा जाए — दोनों स्वदेशी हो।
साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ये सुधार विशेष रूप से मध्यम वर्ग, युवा, महिलाओं, किसान, व्यापारी और छोटे उद्यमियों को लाभ पहुँचाएंगे। उन्होंने ये बताया कि पहले आयकर में 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री किया जा चुका है, और अब जीएसटी सुधारों से मिलाकर जनता को कुल मिलाकर लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
इन सुधारों के चलते कुछ महत्वपूर्ण बदलाव इस प्रकार हैं:
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कई दैनिक उपयोग की वस्तुओं को 5% जीएसटी स्लैब में लाया गया है या जीएसटी पूरी तरह से खत्म किया गया है।
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दवाओं, मेडिकल उपकरणों और डायग्नोस्टिक किट्स पर कर दरों में कटौती हुई है।
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वाहनों, बिजली तथा होम-एप्लायंसेज़ सहित अन्य उपभोक्ता सामानों की जीएसटी दरों में कमी हुई है।
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निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट आदि पर कर दरों में कमी की गई है, जिससे आवास एवं बुनियादी निर्माण कार्यों की लागत कम होगी।
पीएम मोदी ने इस सुधार को राष्ट्रीय एकता (one nation, one market) की दिशा में सहकारी सुधारों का उदाहरण कहा है, जहाँ केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर इस योजना को लागू किया है।
समस्याएँ / चुनौतियाँ:
हालाँकि ये बदलाव जनता के लिए राहत और बचत की स्थिति ला सकते हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी हैं:
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कुछ विपक्षी दलों ने इस पहल को पर्याप्त नहीं मानते हुए कहा है कि ये सुधार बहुत देरी से आए हैं, और कुछ गुणवत्ता या कारगर कार्यान्वयन की चुनौतियाँ हो सकती है।
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व्यापारियों और उद्योगों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि कमी की गई कर दरों का लाभ सही-सही उपभोक्ता तक पहुँचे।