
देश-विदेश के रक्षा एवं कूटनीति के पटल पर एक नया तनाव-चिंताजनक संकेत सामने आया है। भारत की तीनों सेनाओं द्वारा आयोजित होने जा रहे बड़े संयुक्त युद्धाभ्यास Exercise Trishul को देखते हुए, पड़ोसी देश पाकिस्तान ने द्विदिवसीय (2-दिन) के लिए अपने कुछ हवाई मार्गों को बंद कर दिया है।
इस कदम की पृष्ठभूमि में यह तथ्य सामने आया है कि भारत इस प्रशिक्षण को आगामी 28 अक्टूबर से 10 नवंबर तक सीमा-क्षेत्र विशेषतः Sir Creek (गुजरात-कच्छ) और थार मरुस्थल जैसे संवेदनशील इलाकों में संचालित करने जा रहा है। इस अभ्यास के दायरे को बेहद व्यापक बताया जा रहा है — जमीन, हवा एवं समुद्र तीनों मोर्चों पर सैनिक-तैनाती एवं एकीकृत संचालन को परखा जाएगा।
पाकिस्तान ने इस अभ्यास के शुरू होने से पहले अपनी सैन्य तैयारियों को बढ़ा लिया है और एहतियातन अपनी वायु सीमा (air-routes) में बदलाव करके दो दिन के लिए विमान परिचालन के कुछ मार्गों को बंद कर दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि उसने इस अभ्यास को ‘चैलेंज’ के रूप में देखा है और भारत की चेतावनियों के बाद इस तरह की अग्रिम प्रतिक्रिया दी है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई एक तरह से संकेत है — कि भारत-पाक सीमा पर तनाव फिर उभर सकता है और भारत का यह अभ्यास सिर्फ प्रशिक्षण नहीं बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त, सीमा के समीप इस तरह का संयुक्त अभ्यास यह दिखाता है कि भारत अपनी समन्वित युद्ध-तैयारी (tri-service synergy) को मजबूत करना चाहता है।
हालाँकि, इस कार्रवाई का यह मतलब नहीं कि तुरंत युद्ध की संभावना बढ़ गई है, लेकिन यह स्पष्ट कर देती है कि दोनों देशों के बीच मशीनरी सक्रिय हो गई है। एयरस्पेस बंदी जैसे कदम-स्वीकार दिखाते हैं कि एक दूसरे की हरकतों पर निगरानी व प्रतिक्रिया का दौर चल रहा है।
अतः इस घटना का महत्व सिर्फ सैन्य-प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत-पाक संबंधों, कूटनीतिक शर्तों, और क्षेत्रीय-सुरक्षा परिदृश्य में बढ़ती जटिलताओं को भी उजागर करती है। आने वाले दिनों में इस अभ्यास के दौरान और उसके समापन के बाद दोनों देशों की गतिविधियों-बयान पर ध्यान देना आवश्यक होगा।



