
9 पन्नों के सुसाइड नोट में कई बड़े अफसरों पर लगाए गंभीर आरोप, भ्रष्टाचार और मानसिक उत्पीड़न का खुलासा
हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने पूरे पुलिस महकमे और प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया है। 2001 बैच के इस अधिकारी ने चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास में सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मौके से पुलिस को एक 9 पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने कई वरिष्ठ IAS और IPS अधिकारियों के नाम लिखे हैं और उन पर मानसिक उत्पीड़न, भ्रष्टाचार के दबाव, और पदोन्नति में भेदभाव जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
सुसाइड नोट से चौंकाने वाले खुलासे
सुसाइड नोट में वाई पूरन कुमार ने विस्तार से लिखा है कि उन्हें कई महीनों से जानबूझकर टारगेट किया जा रहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारी उन्हें भ्रष्टाचार मामलों में फंसाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनसे “ग़लत आदेशों पर हस्ताक्षर करने का दबाव” बनाया जा रहा था और ऐसा न करने पर उनके खिलाफ फर्जी शिकायतें दर्ज की जा रही थीं।
नोट में यह भी उल्लेख है कि उन्हें कई बार अनुचित तरीके से तबादले दिए गए, सरकारी आवास आवंटन में भेदभाव हुआ और ACR रिपोर्ट में जानबूझकर खराब अंक दिए गए ताकि उनका करियर बर्बाद किया जा सके। उन्होंने लिखा —
“मैं एक ईमानदार अधिकारी हूं, लेकिन कुछ लोग चाहते थे कि मैं भी उनके जैसा भ्रष्ट बन जाऊं। जब मैंने मना किया, तो उन्होंने मेरा जीवन नर्क बना दिया।”
हालिया घटनाक्रम और विवाद
पूरन कुमार हाल ही में रोहतक रेंज के आईजी पद से हटाकर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज, सुनारिया (रोहतक) भेजे गए थे। इस तबादले को लेकर वे बेहद नाराज़ बताए जा रहे थे। कुछ दिन पहले उनके अधीनस्थ हेड कांस्टेबल सुशील कुमार को रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसने पूछताछ में कहा कि वह “आईजी के नाम पर पैसा मांग रहा था।” इस आरोप ने पूरन कुमार की प्रतिष्ठा पर गंभीर असर डाला।
हालांकि, सूत्रों के अनुसार पूरन कुमार ने इस मामले को “साजिश” बताया था और दावा किया था कि कुछ लोग उन्हें फंसाने के लिए यह सब कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्होंने सिस्टम के भीतर जातिगत भेदभाव और भ्रष्टाचार का विरोध किया, जिसके कारण उन्हें “अलग-थलग” कर दिया गया।
जांच शुरू, सरकार ने दिए उच्चस्तरीय आदेश
हरियाणा के डीजीपी ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। एफएसएल और क्राइम टीम ने चंडीगढ़ स्थित उनके घर से रिवॉल्वर, लैपटॉप, मोबाइल फोन और सुसाइड नोट की मूल कॉपी जब्त कर ली है।
राज्य सरकार ने कहा है कि “पूरी पारदर्शिता के साथ जांच की जाएगी और अगर किसी अधिकारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई तो सख्त कार्रवाई होगी।”
इस घटना के बाद से हरियाणा पुलिस और प्रशासनिक सेवा दोनों में भ्रष्टाचार, जातिवाद और मानसिक उत्पीड़न पर नई बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर कई रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों ने मांग की है कि इस सुसाइड नोट को सार्वजनिक किया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
कौन थे वाई पूरन कुमार?
वाई पूरन कुमार अपने बेबाक और ईमानदार रवैये के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने करियर में कई बार राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। वे लंबे समय तक रोहतक और फतेहाबाद जिलों में पदस्थ रहे और कई संवेदनशील मामलों की जांच की थी। सूत्रों के मुताबिक, वे पिछले कुछ समय से तनाव और अवसाद में थे, लेकिन उन्होंने अपने साथियों से कभी हार नहीं मानी।
उनकी मौत ने न सिर्फ पुलिस विभाग बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे पर सवाल खड़े कर दिए हैं —
क्या एक ईमानदार अधिकारी इस सिस्टम में जी नहीं सकता?