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बीएमसी चुनाव से पहले मुंबई राजनीति में बड़ा उलटफेर

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महाराष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण स्थानीय निकाय चुनावी लड़ाई—बीएमसी (बृहन्मुम्बई महानगरपालिका) चुनाव—के ठीक पहले मुंबई की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आया है। उत्तर मुंबई की जानी-मानी नेता और दिवंगत पूर्व पार्षद अभिषेक घोसालकर की पत्नी तेजस्वी घोसालकर ने सोमवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) यानी शिवसेना UBT छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने का ऐलान किया है। यह कदम न सिर्फ उद्धव ठाकरे नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है बल्कि आगामी स्थानीय चुनावों के राजनीतिक समीकरणों में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

तेजस्वी घोसालकर उत्तर मुंबई की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय रही हैं। वे स्थानीय स्तर पर शिवसेना UBT से नगरसेविका के रूप में काम कर चुकी हैं और उनके ससुर विनोद घोसालकर भी पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व विधायक रहे हैं, जिनका ठाकरे परिवार से पुराना नाता रहा है। लेकिन अब उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है, जिससे माना जा रहा है कि बीजेपी बीएमसी चुनाव में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है तथा शिवसेना UBT से संभावित मत और राजनीतिक समर्थन छीनने की कोशिश कर रही है।

बीजेपी और शिवसेना के बीच पिछले कुछ समय से राजनीतिक उतार-चढ़ाव जारी हैं। हालांकि दोनों दलों ने महायुति गठबंधन के तहत सहकार्य का दावा किया है, स्थानीय चुनावों से पहले कई शिवसेना और अन्य क्षेत्रीय नेताओं का बीजेपी में शामिल होना या उसके साथ जुड़ने का संकेत देना इस गठबंधन की स्थिरता पर सवाल उठाता है। ऐसी अफवाहें और इस्तीफे यह संकेत दे रहे हैं कि स्थानीय स्तर पर राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं और भाजपा अपने संगठन को व्यापक बनाते हुए बीएमसी में अच्छा प्रदर्शन करने की रणनीति पर काम कर रही है।

तेजस्वी ने बीजेपी में शामिल होते हुए अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि वह अब अपनी राजनीतिक यात्रा नई दिशा में जारी रखेंगी। उनके इस फैसले को उत्तर मुंबई के दहिसर, मागठाणे, बोरीवली-हिदी विदर्भ क्षेत्रों में भाजपा के लिये एक राजनीतिक लाभ के रूप में देखा जा रहा है, जहां पर स्थानीय समर्थन तय करने में स्थानीय नेताओं की अहम भूमिका होती है।

विश्लेषकों के अनुसार, बीएमसी चुनाव हमेशा से ही मुंबई के राजनीतिक परिदृश्य का सबसे बड़ा परीक्षण होता है, क्योंकि यह नगरपालिका न सिर्फ शहर की राजनीति को दिशा देता है बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी सामरिक महत्व रखता है। तेजस्वी जैसे स्थानीय राजनीतिक हस्ती का किसी बड़े राष्ट्रीय दल में शामिल होना, चुनावी रणनीति और मतदाताओं के मन में बदलाव लाने का एक प्रयास माना जा सकता है।

इस स्थिति में शिवसेना UBT नेतृत्व के लिये यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, क्योंकि पार्टी को स्थानीय नेताओं के सहयोग और संगठनात्मक समर्थन को कायम रखने की आवश्यकता है। वहीं, बीजेपी इस मौके का उपयोग अपने समर्थन को बढ़ाने तथा आगामी बीएमसी चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिये कर रही है। इससे महाराष्ट्र की राजनीति में आगामी दिनों में नए मोड़ देखने को मिल सकते हैं, खासकर जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं और राजनीतिक दल अपने अपने किले मजबूत करने में लगे हैं।

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