
असम की राजनीति में आज एक भौंहें चौंका देने वाली खबर आई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता राजेन गोहेन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और उनके साथ 17 अन्य सदस्य भी भाजपा छोड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इस कदम को अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती माना जा रहा है।
गोहेन ने अपना इस्तीफा असम भाजपा अध्यक्ष दिलीप सैकिया को सौंपा है। उन्होंने इस्तीफे में स्पष्ट किया है कि वे तुरंत प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से हटते हैं। उनके अनुसार, असम में भाजपा ने स्थानीय समुदायों के हितों की अनदेखी की है और वादे पूरे नहीं किए। विशेष रूप से, उन्होंने आरोप लगाया है कि पार्टी ने बाहरी तत्वों को राज्य में जगह दी जबकि असम की जनता को धोखा दिया गया।
राजेन गोहेन की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर्याप्त मजबूत है। उन्होंने 1999 से 2019 तक नागांव संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2016–2019 के बीच रेल मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। इसके अलावा गोहेन पहले असम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं और चाय बगान उद्योग से उनका संबंध भी है।
उनके इस्तीफे की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मायने रखती है। असम में बीजेपी की सरकार हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में है, और पार्टी यहां जीत की हैट्रिक लगाना चाहती है। लेकिन इस बड़े पलायन ने भाजपा के लिए संदिग्ध सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ रहा है? क्या स्थानीय नेताओं को वह महसूस हो रहा है कि उनकी आवाज़ दबाई जा रही है?
विश्लेषकों की नजरें अब भाजपा की आगे की रणनीति पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस इस्तीफों के प्रभाव को कैसे कम करती है और आगामी चुनावों में किस तरह की सियासी चालें चलती हैं। खासी संभावना है कि कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल इस मौके को भाजपा के प्रति जनता का असंतोष दर्शाने का जरिया बनाएँगे।