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“जुल्म होगा तो जिहाद होगा” — मौलाना महमूद मदनी के बयान से उठा नया विवाद, आरिफ मोहम्मद खान का तीखा पलटवार

jihad issue

क्या कहा गया — मदनी का बयान

विवाद और प्रतिक्रियाएँ

स्थिति अब — बहस जारी

मदनी का यह बयान एक बार फिर से यह दिखाता है कि “जिहाद” जैसे धार्मिक शब्दों की व्याख्या — और उनका इस्तेमाल — भारत में कितना संवेदनशील विषय है। जहां एक ओर मदनी इसे इस्लाम की “सच्ची” आत्मरक्षा और न्याय के लिए संघर्ष बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोग इसे “सांतों में कट्टरता” या “धार्मिक उकसावे” का आधार मान रहे हैं।

इस बीच, अदालतों, वक्फ, धार्मिक-सामाजिक संस्थानों, मीडिया — सबकी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारियाँ उजागर हो रही हैं। देशभर में यह चर्चा बढ़ रही है कि धार्मिक आदर्श और संवैधानिक ढांचा — दोनों को कैसे संतुलित रखा जाए।

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