भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि “आपूर्ति के दौरान और कार्य के सिलसिले में होने वाली दुर्घटना” की व्याख्या में अब वह दुर्घटनाएँ भी शामिल होंगी जो कर्मचारी अपने आवास से कार्यस्थल की ओर जाते समय होती हैं या काम समाप्त होने के बाद वापस घर लौटते समय होती हैं, बशर्ते कि समय, स्थान और परिस्थिति में रोजगार से स्पष्ट सम्बन्ध हो। यह Employees’ Compensation Act, 1923 की धारा 3 के अंतर्गत आता है। यह निर्णय 29 जुलाई 2025 को एक बेंच—न्यायमूर्त्त मनोज मिश्रा और के. वी. विश्वनाथन की—द्वारा दिया गया।
निर्णय का महत्त्व:
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पहले इस बात में अस्पष्टता थी कि क्या ड्यूटी पर जाते समय हुई दुर्घटनाएँ मुआवजे के दायरे में आती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि व्यक्ति ड्यूटी हेतु समय पर पहुँचने का प्रयास कर रहा हो और दुर्घटना उसी समय‑सारिणी में हो, तो इसे कर्म‑संबंधित दुर्घटना माना जाएगा।
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उदाहरण के तौर पर, एक व्यक्ति जो रात में सुबह की पहली ड्यूटी के लिए घर से निकलता है, उस समय हुई दुर्घटना यदि ड्यूटी से सीधे जुड़ी हुई हो, तो उसकी स्थिति मुआवजे की पात्र होगी।
कारोबार और कर्मचारियों पर प्रभाव:
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इस निर्णय से कर्मचारियों, विशेषकर रविवार, रात या असामान्य समय पर ड्यूटी पर जाते और लौटते समय होने वाली दुर्घटनाओं पर मुआवजे की मांग संभव हो सकेगी।
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Employers के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे Employees’ Compensation Act के तहत उचित बीमा और सुरक्षा व प्रक्रियाओं का पालन करें।