
दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली दो प्रमुख कंपनियाँ — BSES राजधानी पावर लिमिटेड (BRPL) और BSES यमुना पावर लिमिटेड (BYPL) — काफी समय से बिजली की लागत (Power Purchase Cost) में हुई बढ़ोतरी के चलते टैरिफ (Electricity Tariff) बढ़ाने की मांग कर रही थीं। लेकिन दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) द्वारा टैरिफ निर्धारण की प्रक्रिया में कुछ ऐसे बदलाव किए गए जो कंपनियों को मंजूर नहीं थे।
इस पर BSES ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कहा कि DERC ने जो टैरिफ नियम पहले तय किए थे, ट्रूइंग-अप (Truing-Up) के समय उनमें बदलाव करना कानूनी रूप से गलत है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसला देते हुए कहा कि:
“टैरिफ ऑर्डर में ट्रूइंग-अप के दौरान नियमों को बदलना उचित नहीं है। यह बिजली अधिनियम (Electricity Act) के खिलाफ है।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि DERC को किसी भी वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर जब असल खर्च और अनुमानित खर्च का मिलान (truing-up) किया जाता है, उस समय टैरिफ पद्धति में बदलाव करने की अनुमति नहीं है।
इसलिए कोर्ट ने BSES की अपील को स्वीकार कर लिया और टैरिफ बढ़ाने की अनुमति दे दी।
क्या है ट्रूइंग–अप (Truing-Up)?
ट्रूइंग-अप एक वित्तीय प्रक्रिया है जिसमें बिजली वितरण कंपनियों के वास्तविक खर्च और अनुमानित खर्च की तुलना की जाती है। अगर कोई अंतर आता है, तो उसे अगले वर्ष के टैरिफ में जोड़ा या घटाया जाता है।
अब बिजली कितनी महंगी होगी?
DERC ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निम्नलिखित Power Purchase Adjustment Cost (PPAC) दरें लागू की हैं:
कंपनी का नाम | नई PPAC दर | अवधि |
BRPL (BSES राजधानी) | 7.25% | 9 अगस्त 2025 से |
BYPL (BSES यमुना) | 8.11% | 9 अगस्त 2025 से |
TPDDL (टाटा पावर) | 10.47% | लागू |
इसका मतलब है कि अब उपभोक्ताओं के बिजली बिल में 7% से 10% तक की वृद्धि देखने को मिलेगी।
उपभोक्ताओं पर असर
- इस फैसले से दिल्ली के लगभग 50 लाख उपभोक्ताओं को सीधा असर पड़ेगा।
- आम आदमी, खासतौर से मिडिल क्लास और लो इनकम ग्रुप, पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ आएगा।
- घरेलू बजट पर असर पड़ेगा, खासकर गर्मियों में जब बिजली खपत ज्यादा होती है।
किसने क्या कहा?
DERC
DERC ने कहा कि टैरिफ में बढ़ोतरी बिजली खरीद लागत में बढ़ोतरी के कारण की गई है और यह जरूरी था ताकि बिजली कंपनियों को घाटा न हो।
RWA (रिहायशी संगठनों)
दिल्ली की कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि:
“महंगाई पहले ही चरम पर है, अब बिजली बिल में बढ़ोतरी जनता की कमर तोड़ देगी।”
विपक्षी दल
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने आम आदमी पार्टी सरकार और DERC पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार जनता पर टैक्स और बिल का बोझ डाल रही है।