दिल्ली में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और काटने के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने आदेश दिया है कि दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी, टीकाकरण और स्थायी शेल्टर में रखने की व्यवस्था आठ हफ्तों के भीतर की जाए। कोर्ट ने साफ कहा है कि कुत्तों को दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा जाएगा।
दिल्ली में इस समय कोई डॉग शेल्टर नहीं है और नसबंदी केंद्रों की क्षमता बेहद कम है। नगर निगम के 20 एबीसी केंद्र हर साल करीब 2,500 कुत्तों की नसबंदी कर पाते हैं, जबकि विशेषज्ञों के अनुसार यह संख्या 4.5 लाख होनी चाहिए। इस साल अगस्त तक 26 हजार से ज्यादा डॉग बाइट के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 49 रेबीज के केस भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि 5 से 6 हजार कुत्तों के लिए सीसीटीवी, पशु चिकित्सक, केयरटेकर और नसबंदी-टीकाकरण सुविधाओं वाले शेल्टर बनाए जाएं। इसके अलावा एक हेल्पलाइन एक हफ्ते के भीतर शुरू की जाए, जिससे डॉग बाइट मामलों में चार घंटे के भीतर कार्रवाई हो सके। आदेश की अवहेलना या रोकने की कोशिश करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।
जहां एमसीडी ने आदेश को लागू करने का भरोसा जताया है, वहीं पीटा इंडिया समेत कई पशु अधिकार संगठनों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि यह कदम अव्यवहारिक और अमानवीय है, और नसबंदी-टीकाकरण ही ज्यादा स्थायी समाधान है।