60 वर्षीय सुभाष चंद्र सेमवाल, जो उत्तरकाशी के मुठबा गाँव के निवासी हैं, ने बताया कि उन्होंने अपने 65 वर्षों में इस तरह का खौफनाक मंजर कभी नहीं देखा। वे जैसे ही खीर गंगा के पास पहुँचे, पहाड़ से पानी और पत्थरों का सैलाब उन तक आ पहुँचा।
“घर दब गए, सिर्फ छतें बाहर थीं… हम सीटियाँ बजा रहे थे ताकि लोग भाग सकें,”
उनकी आवाज़ में डर कर चीखने वालों की पुकार सुनाई दे रही थी। उन्होंने बताया कि हमने शीघ्र पहचान कर लोगों को चेतावनी दी, जिससे कई होटल और मकानों में लोग भागकर सुरक्षित जगह पहुँच सके, लेकिन फिर भी तेज़ धार लेने वाले पानी ने कई को अपनी चपेट में ले लिया।
इस भीषण फ्लड से धराली गाँव लगभग पूरी तरह तबाह हो गया। चार लोग मारे गए, जबकि लगभग 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनमें से 10‑12 लोग संभवतः मलबों के नीचे दबे हो सकते हैं।
घटना केवल कुछ सेकंड—लगभग 30‑34 सेकंड में—में हुई, जब तेज़ झोंके के साथ पानी और मलबा गाँव में घुसा। इससे पुराने मंदिर समेत कई घर, होटल और दुकानें पूरी तरह बह गईं।
सेना की हरषिल कैंप से लगभग 150 जवान 10 मिनट के भीतर पहुँच गए थे। उन्होंने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किया और अब तक लगभग 20 लोगों को बचाया जा चुका है। SDRF, NDRF, ITBP एवं प्रशासन की टीमें राहत कार्य में सक्रिय हैं। अभी भी व्यापक खोज जारी है।