पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने हाल ही में ‘इस्लामाबाद कॉन्क्लेव’ में कहा कि पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश को मिलाकर एक नया क्षेत्रीय संगठन बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसमें भारत शामिल नहीं होगा। इस योजना का मकसद दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन SAARC के मौजूदा ढांचे से अलग एक नया मंच तैयार करना बताया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की यह पहल पिछले कुछ महीनों में तेज़ हुई है, और यस कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का दौर भी जारी है। पाकिस्तान के प्रयासों के बाद अब बांग्लादेश की तरफ़ से भी सकारात्मक संकेत मिलने लगे हैं। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने मीडिया से कहा है कि यदि भारत SAARC के वर्तमान स्वरूप को आगे नहीं बढ़ाना चाहता, तो बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ मिलकर नए विकल्पों पर विचार कर सकता है।
हालांकि इस कदम को लेकर अनिश्चितता भी बनी हुई है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस की तरफ़ से स्पष्ट किया गया है कि कोई भी ऐसा गठबंधन नहीं बनाया जा रहा जिसमें तीनों देशों की आधिकारिक मंज़ूरी हो, और उन्होंने इन अफवाहों को खारिज किया है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रयास SAARC की कमज़ोरी को अवसर के रूप में देखने की कोशिश है, क्योंकि मौजूदा संगठन भारत‑पाकिस्तान तनाव के कारण लगभग ठप पड़ा हुआ है। इसके अलावा पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश के बीच हाल ही में बढ़ रहे व्यापारिक और राजनीतिक संपर्क को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
यह मामला मॉडी, शहबाज़ शरीफ और मोहम्मद यूनुस के बीच पिछले कुछ महीनों में बढ़े राजनीतिक संपर्क और दक्षिण एशियाई राजनैतिक समीकरणों की बदलती दिशा को भी दर्शाता है। माना जा रहा है कि इस तरह का नया गठबंधन भारत की क्षेत्रीय भूमिका और प्रभाव को चुनौती दे सकता है, खासकर दक्षिण एशियाई भू‑राजनीतिक संतुलन के लिहाज़ से।
