
राधा जी के 28 दिव्य नामों के जाप से बरसती है श्रीकृष्ण की कृपा
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में राधा अष्टमी का शुभ दिन बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जा रहा है। शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार, राधा रानी के जन्मोत्सव का यह दिन विशेष फलदायी माना गया है।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार राधा जी श्रीकृष्ण की आत्मा और शक्ति स्वरूपा हैं। यही कारण है कि भक्ति परंपरा में सबसे पहले “राधे-राधे” कहकर फिर “कृष्ण” का नाम लिया जाता है। मान्यता है कि जो भक्त राधा जी के 28 नामों का श्रद्धा भाव से जाप करता है, उस पर भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कृपा बरसाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
राधा जी के 28 नाम
- राधा 
- रासेश्वरी 
- रम्या 
- कृष्ण मातृअधिदेवता 
- सर्वाद्या 
- सर्ववंद्या 
- वृंदावन विहारिणी 
- वृंदा राधा 
- रामा 
- अशेष गोपी मंडल पूजिता 
- सत्य 
- सत्यपरा 
- सत्यभामा 
- श्रीकृष्ण वल्लभा 
- वृशभानु सुता 
- गोपी 
- मूल प्रकृति 
- ईश्वरी 
- गंधर्वा 
- राधिका 
- रम्या 
- रुक्मिणी 
- परमेश्वरी 
- परात्परतरा 
- पूर्णा 
- पूर्णचन्द्रविमन्ना 
- भुक्ति-मुक्तिप्रदा 
- भाव्याधि-विनाशिनी 
कथा और महत्व
शास्त्रों में वर्णन है कि व्यास मुनि के पुत्र शुकदेव केवल “राधा-राधा” नाम का जाप करते थे। तब राधा जी ने उनसे कहा कि श्रीकृष्ण का नाम भी लेना चाहिए। लेकिन जब लोग केवल “कृष्ण” नाम जपने लगे तो भगवान कृष्ण को दुख हुआ कि अब कोई “राधा” का नाम नहीं लेता। तब राधा जी ने सभी से कहा कि उनका नाम हमेशा पहले लिया जाए, ताकि कृष्ण का नाम उनके साथ जुड़कर लिया जाए। तभी से परंपरा बनी कि भक्तजन “राधे-राधे” कहकर ही श्रीकृष्ण का स्मरण करते हैं।
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि राधा के नामों का हृदय से स्मरण करने से न केवल आत्मिक शांति मिलती है बल्कि श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
डिस्क्लेमर
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, कथाओं और संत-महात्माओं की शिक्षाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जानकारी देना है। पाठक इसे अपनी श्रद्धा और विवेक के अनुसार अपनाएँ।
 







