इंग्लैंड के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में खेले गए चौथे टेस्ट में मैच बचाने वाली पारी खेलने के तुरंत बाद वाशिंगटन सुंदर के पिता, मनी सुंदर, सक्रिय हो गए। उन्होंने BCCI चयन समिति (अजीत अगरकर नेतृत्व में) और कोच गौतम गंभीर पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बेटे को निरंतर अवसर नहीं दिए जा रहे हैं, जबकि अन्य खिलाड़ियों को रेगुलर मौके मिलते रहते हैं।
उन्होंने विशेष रूप से कहा:
“Washington has been doing very well consistently. However, people tend to avoid and forget his performances. Other players get regular chances, only my son doesn’t get them… My son gets dropped even if he fails in just one or two matches.”
वाशिंगटन सुंदर ने मैदान में अपनी पहली टेस्ट शतकीय पारी खेलते हुए Ravindra Jadeja के साथ मिलकर 203 रनों की साझेदारी की, जिससे भारत ने मैच ड्रॉ कराया था।
इस मामले पर भारतीय मुख्य कोच गौतम गंभीर का भी रुख स्पष्ट था। उन्होंने Ben Stokes द्वारा ऑफर किए गए ड्रॉ को अचानक स्वीकार न करने पर और सुंदर‑जडेजा को सेंचुरी पूरा करने का मौका देने के निर्णय का बचाव करते हुए कहा:
“If someone is batting on 90 and another on 85, don’t they deserve their centuries? Would England have walked off if their own players were close to milestones?”
इसके अलावा पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने गंभीर की चयन नीतियों और रणनीति पर सवाल उठाए हैं, कहा कि टीम की लड़ाई खिलाड़ी‑दिमाग से हो रही है, न कि कोचिंग निर्णयों से ।
प्रभाव और आगे की राह:
- सुंदर की पारी ने भारत को श्रृंखला में आखिरी मैच तक वापसी का मौका दिया।
- उनके पिता का बयान चयन स्थिरता और युवा खिलाड़ियों को मौका देने जैसे मुद्दों पर बहस छेड़ रहा है।
- अगले और अंतिम टेस्ट (5वां टेस्ट, ओवल, 31 जुलाई से शुरू) के लिए टीम चयन में पुनर्विचार की संभावना है — खासकर कोच गंभीर और चयनकर्ताओं की रणनीति पर नजर बनी हुई है I