अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वी क्षेत्रों में भू–सहमी की निरंतर श्रृंखला ने एक बार फिर से प्राकृतिक आपदा की गंभीरता का नमूना पेश किया है; हाल ही में ज़लालाबाद के समीप एक तीसरी प्रमुख भू-कंप (मेज़िंदगी 6.2) दर्ज की गई, जो पिछले दिनों आए विनाशकारी भूकंप का नया थप्पड़ है। इस भूकंप की हलचलों ने पहले से ही तबाह इस क्षेत्र में खौफ़ और दर्द दोनों को बढ़ा दिया है।
इस बार की आपदा की भुचाल की तीव्रता 6.0 थी, जिसने 31 अगस्त की रात क़ुदर प्रांत में काफ़ी विनाश फैला दिया। इस भूकंप की तीव्रता और ऊपरी सतह से समीपता के कारण ने ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मिट्टी और लकड़ी से बने घरों को नष्ट कर दिया; अनुमानित रूप से 2200 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 4000 लोग घायल हुए हैं।
जिन जिलों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा, उनमें कुनार सबसे अधिक प्रभावित रहा — जहाँ लगभग 98% ढांचे या तो क्षतिग्रस्त या पूरी तरह ध्वस्त हो गए। इसके अलावा पाँच जिलों में करीब 8,000 से अधिक घर पूरी तरह से गायब हो गए। यह भूकंप अफ़ग़ानिस्तान का तीसरा सबसे गंभीर हादसा है, जिसने पिछले वर्षों की तुलना में अधिक तबाही मचाई है।
राहत कार्य जारी है, लेकिन खड़ी चुनौतियाँ—जैसे बाधित सड़कें, भूस्खलन, कठिन भौगोलिक स्थलाकृति—घायलों और राहत व स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुंचाने में बड़ी बाधाएं बन रही हैं। तालिबान प्रशासन ने हेलीकॉप्टरों और आपातकालीन दलों को मैदान में उतारा है, लेकिन अभी भी कई इलाके पैदल ही पहुँचे जा रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय राहत संगठनों ने सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है। लेकिन अफ़ग़ानिस्तान में बाहरी सहायता पहले से काफी घट चुकी है—व्यापक राजनीतिक और वित्तीय कारणों से—जिसके चलते राहत कार्य और भी अधिक कठिन हो गया है।
इस त्रासदी की मानवता पर गहरी चोट लगी है। अनुमानित तौर पर 84,000 लोग सीधे प्रभावित हैं। इस विनाश ने पहले से मौजूदा संकट—मेहनती आवास, खाद्य असुरक्षा और शरणार्थी समस्याओं—पर और बहतर दबाव डाल दिया है।
