अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इन दिनों भारत यात्रा पर हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की प्रतिबंध सूची में होने के बावजूद मुत्ताकी को इस यात्रा के लिए अस्थायी यात्रा छूट (Travel Waiver) दी गई है। उनकी यह यात्रा 9 से 16 अक्टूबर तक चल रही है, जिसमें वे भारतीय अधिकारियों से क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार और मानवीय सहयोग पर चर्चा कर रहे हैं।
इस बीच, मुत्ताकी ने अमेरिका के बग्राम एयरबेस को फिर से सक्रिय करने की संभावनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि “अफगानिस्तान एक स्वतंत्र देश है, और उसकी भूमि किसी विदेशी सेना को नहीं दी जाएगी।” मुत्ताकी के इस बयान को अमेरिकी दबाव के जवाब के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था कि वाशिंगटन अफगानिस्तान में सीमित सैन्य उपस्थिति बहाल करने की सोच रहा है।
विशेष बात यह है कि यह बयान ऐसे समय आया है जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई कूटनीतिक कोशिशें दक्षिण एशिया में चर्चा में हैं, और भारत तथा अमेरिका दोनों अफगान नीति को लेकर सतर्क हैं।
भारत सरकार ने मुत्ताकी की यात्रा का स्वागत तो किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यह एक “व्यावहारिक संपर्क नीति” (Pragmatic Engagement Policy) का हिस्सा है, न कि तालिबान शासन की औपचारिक मान्यता। भारत अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैध नहीं मानता।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा भारत-अफगान संबंधों में एक नया अध्याय खोल सकती है, खासकर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और मध्य एशियाई संपर्क के मुद्दों पर। वहीं कूटनीतिक गलियारों में यह सवाल भी चर्चा में है कि भारत इस यात्रा के दौरान क्या तालिबान के झंडे का प्रयोग करेगा या नहीं।
