
उत्तर प्रदेश के आगरा में एक सनसनीखेज हत्या-मामले की सुनवाई के बाद आज (09 नवम्बर 2025) अदालत ने फैसला सुनाया है। इस मामले में एक पत्नी, उसके प्रेमी व उसके दोस्त पर मिलकर पति की हत्या करने का आरोप था। पांच वर्षों तक चलने वाली सुनवाई व दो नाबालिग बेटों की गवाही के बाद अदालत ने तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
घटना 14 फरवरी 2019 की रात की है — यानी वैलेंटाइन्स डे के दिन। पत्नी कुसमा देवी (नाम रिपोर्ट में) ने अपने पति रामवीर (32 वर्ष) की हत्या करने की साज़िश रची थी।
उसके प्रेमी सुनील व दोस्त धर्मवीर ने भी आरोपित हिस्सेदारी निभाई। हत्या हेतु फावड़ा इस्तेमाल किया गया, शव को कुएँ में फेंका गया, और बाद में सबूत मिटाने की कोशिश हुई।
मामले की एक महत्वपूर्ण विशेषता रही है आरोपी पत्नी के दो बेटों की गवाही। दोनों ने अदालत में बयान दिया कि उन्होंने अपनी मां को सुनील व धर्मवीर के साथ मिलकर पिता की हत्या करते देखा था। उनके बयान ने मामले की दिशा ही बदल दी।
पुलिस ने हत्या के बाद बहुत जल्दी चार्जशीट दाखिल की थी, और सुनवाई के दौरान दर्जनों गवाह व सबूत अदालत के समक्ष रखे गए।
अदालत के न्यायाधीश ने अपने निर्णय में कहा कि यह सिर्फ एक सामान्य हत्या नहीं है बल्कि इंसानियत के नाम पर भी एक बड़ा कलंक है — एक मां द्वारा अपने पति की हत्या और दो छोटे बच्चों के सामने यह अपराध समाज-वर्ग के लिए एक चेतावनी है।
इस मामले से जुड़ी बातें–
घटना के बाद आरोपियों ने शव व अन्य साक्ष्यों को छिपाने की कोशिश की थी।
इस तरह की पत्नियों द्वारा पति की हत्या करने की घटनाएं हाल में कई सामने आई हैं, जैसे मेरठ व इंदौर में।
यह मामला पाँच साल तक टलता रहा और आखिरकार न्याय-प्रक्रिया पूरी होने पर आज सजा हुई।
विश्लेषण:
यह मामला कई दृष्टियों से चिंताजनक है। सबसे पहली बात यह कि वैलेंटाइन्स डे की रात को, प्रेम-संबंध तथा दाम्पत्य जीवन की पृष्ठभूमि में, एक विवाहित महिला ने अपने पति की हत्या की साज़िश की। यह उस भरोसे और सामाजिक बंधन को चुनौती देता है जो दाम्पत्य रिश्तों को स्थिर बनाती है। साथ-साथ यह बच्चों की भूमिका और उनके सामने अपराध की भयावहता को भी उजागर करता है — दो बेटे, जिन्होंने अपनी मां द्वारा पिता को मारते देखा और फिर गवाही दी।
पुलिस-प्रक्रिया व न्याय-प्राप्ति की दृष्टि से यह मामला यह संकेत देता है कि साक्ष्य जुटाना व मज़बूत गवाह मिलना कितना महत्वपूर्ण है। यदि बेटों की गवाही नहीं होती, तो केस संभवतः इतने समय तक लंबित रह जाता या अपराधी अनसज़ा रह जाते। यह उन परिवारों के लिए भी चेतावनी है जहाँ अंदरूनी झगड़े, प्यार-प्रेम व भरोसे की कमी अपराधों की ओर ले जा सकती है।
समाज-संदर्भ में देखा जाए तो यह घटना हमें यह सोचने पर विवश करती है कि विश्वास, पारिवारिक मिल-जुलकर जीवन यापन, और सामाजिक निगरानी कितनी अहम हैं। जब रिश्तों में दरार होती है, तथा प्रेम संबंध विवाह के दायरे से बाहर चले जाते हैं, तो परिणाम कभी-कभी इतना भयावह हो जाता है कि इसे रोक पाना आसान नहीं होता।



