
पाकिस्तान अब लड़कियों और महिलाओं को बना रहा आतंकी, जानिए क्यों
पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन Jaish-e-Mohammed (JeM) ने अब लड़कियों और महिलाओं को भी सक्रिय रूप से अपने आतंकवादी नेटवर्क में शामिल करना शुरू कर दिया है। JeM ने अपनी पहली महिला शाखा ‘Jamaat-ul-Mominaat’ का गठन किया है, जिसका नेतृत्व संगठन प्रमुख Masood Azhar की बहन Sadiya Azhar करेंगी। यह शाखा महिलाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ने और उन्हें संगठन की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल करने का काम करेगी।
इस नई रणनीति के तहत, JeM ने महिलाओं के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘Tufat al-Muminat’ भी लॉन्च किया है। इस कोर्स में भाग लेने के लिए 500 पाकिस्तानी रुपये की फीस ली जा रही है। कोर्स के जरिए महिलाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से अवगत कराना, उन्हें मानसिक रूप से तैयार करना और संगठन के लिए कार्य करने योग्य बनाना शामिल है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में आतंकवादी समूह अब महिलाओं और लड़कियों को सक्रिय हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि महिलाओं को अक्सर सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी से बचा कर आतंकवादी गतिविधियों में लगाया जा सके।
इस तरह की योजनाएँ न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन रही हैं। मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ एक सिस्टमेटिक मानसिक और सामाजिक शोषण के रूप में देखा है।
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान के अलग-अलग क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों के आतंकवादी समूहों में शामिल होने की घटनाओं में तेजी आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।



