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सौर विकिरण से A320 में 'बिट-फ्लिप'! दुनिया भर में 6,000 से अधिक विमान ग्राउंड

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Airbus ने हाल ही में चेतावनी दी है कि उसके लोकप्रिय वर्टिकल-बॉडी विमानों (A320-सीरीज) में एक ख़तरा सामने आया है — तेज सौर विकिरण (solar radiation) के कारण विमानों के फ्लाइट-कंट्रोल सिस्टम में लगे कंप्यूटर की मेमोरी में ‘बिट-फ्लिप’ (bit-flip) जैसा डेटा करप्शन हो सकता है।

बिट-फ्लिप का मतलब है कि कंप्यूटर डेटा 0 से 1 या 1 से 0 में गलती से बदल सकता है, जिससे पायलट द्वारा दी गई कमांड गलत हो सकती है — जैसे कि ऑटोपायलट या फ्लाइट-कंट्रोल यूनिट को मिली जानकारी बदल सकती है।

पिछली घटना (30 अक्टूबर 2025) में, एक A320 विमान — जब वह करीब 35,000 फीट ऊँचाई पर था — अचानक बिना पायलट इनपुट के नीचे की ओर झुका। अनचाही “पिच-डाउन” घटना हुई, जिसके बाद विमान ने आपात लैंडिंग की। इस घटना के पीछे सोलर विकिरण से डेटा भ्रष्ट होने की संभावना को देखा गया।

इसलिए, Airbus और विमानन नियामकों ने तुरंत एक ग्लोबल अलर्ट जारी किया — impacted A320-family विमानों को सॉफ़्टवेयर अपडेट या, ज़रूरत हो तो हार्डवेयर बदलने का निर्देश।


भारत में स्थिति — कितने विमान प्रभावित?

  • भारत में अधिकांश A320-series विमान DGCA के निर्देश के तहत अपडेट या ELAC (Elevator-Aileron Computer) बदलने की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।

  • अनुमान है कि भारत में करीब 200-250 विमान इस बदलाव के दायरे में आते हैं।

  • कुल मिलाकर, घरेलू व अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में देरी, रद्दीकरण या शेड्यूल में बदलाव की संभावना बनी हुई है।

कुछ रिपोर्टों में सुझाव दिया गया है कि लगभग 400 विमान प्रभावित हो सकते हैं।


क्यों हुआ ये बग — वैज्ञानिक व तकनीकी कारण

सूर्य से आने वाली तीव्र विकिरण (solar radiation / solar flares) खास तौर पर ऊंची उड़ानों में — जहाँ वायुमंडल की मोटाई कम होती है — विमान के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम तक बिना अवरोध पहुंच सकती है।

जब विकिरण कंप्यूटर की मेमोरी चिप (memory chip) पर पड़ती है, तो उसमें “bit-flip” हो सकता है — यानी 0-1 डेटा अचानक बदल जाए। फ्लाइट-कंट्रोल सिस्टम जिस डेटा पर काम करता है, वो बदल जाने से पायलट के निर्देश की जगह अनचाही या गलत कमांड चल सकती है।

ऐसा हुआ भी — जैसे पिछली घटना में — फ्लाइट अचानक नाक नीचे झुक गई, जिससे यात्रियों की जान जाने का खतरा पैदा हो गया।

इसलिये Airbus ने तुरंत ELAC सिस्टम की समीक्षा शुरू की, और अगर पुराने ELAC को अपडेटेड या सुरक्षित मॉडल से नहीं बदला गया, तो उड़ान नहीं भरने देने का आदेश जारी किया।


यात्रियों व विमानन उद्योग के लिए असर

  • देश और दुनिया भर में हजारों उड़ानों पर असर देखने को मिल रहा है — विमानों को ग्राउंड करना पड़ा है, सॉफ़्टवेयर/हार्डवेयर अपडेट हो रहे हैं।

  • घरेलू यात्रियों को फ्लाइट शेड्यूल बदलने, देरी या रद्दीकरण का सामना करना पड़ सकता है। कई एयरलाइन्स ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे अपनी फ्लाइट स्टेटस पहले चेक कर लें।

  • विमानन कंपनियों और पायलटों के लिए सुरक्षा अब और अधिक अहम हो गई है — अब सिर्फ विमान की तकनीक नहीं, बल्कि बाहरी पर्यावरण (जैसे सोलर विकिरण) भी सुरक्षा चुनौतियों में जुड़ गया है।


व्यापक संदर्भ — क्या यह सिर्फ एक समस्या है या चेतावनी का संकेत?

यह मामला सिर्फ एक तकनीकी बग नहीं — बल्कि आधुनिक “फ्लाई-बाय-वायर” विमानों की उस कमज़ोरी की ओर इशारा करता है, जिसपर शायद पहले ध्यान नहीं दिया गया था: पर्यावरणीय / बाहरी विकिरण का असर।

जैसे-जैसे विमान ऊँचाई पर उड़ान भरते हैं और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या बढ़ती जा रही है, यह बात महत्वपूर्ण हो जाती है कि विमानन कंपनियाँ और निर्माता ऐसे जोखिमों को ध्यान में रखें।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि “सुरक्षा” सिर्फ इंजन या तकनीक तक सीमित नहीं — कंप्यूटर, सॉफ़्टवेयर, भीतरी सिस्टम और यहां तक कि वातावरण के किरदार की जाँच जरूरी है।

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