अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया के कई देशों पर भारी-भरकम आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का एलान कर दिया है। इस बार उन्होंने इराक, फिलीपींस, मोल्दोवा, अल्जीरिया, लाइबिया और ब्रुनेई जैसे छह देशों को नए टैरिफ नोटिस जारी किए हैं। ये टैक्स 1 अगस्त 2025 से लागू होंगे।
ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि इन कदमों का मकसद अमेरिकी बाजार और अर्थव्यवस्था को “अनुचित व्यापार प्रथाओं” से बचाना और अमेरिकी कंपनियों को मजबूती देना है। ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका लगातार व्यापार घाटे का सामना कर रहा है और इसे ठीक करने के लिए ये सख्त फैसले जरूरी हैं।
घोषित टैरिफ दरें इस प्रकार हैं:
- इराक, अल्जीरिया और लाइबिया पर 30% टैरिफ
- मोल्दोवा और ब्रुनेई पर 25% टैरिफ
- फिलीपींस पर 20% टैरिफ
ट्रंप ने कहा कि ये दरें पहले प्रस्तावित दरों से कुछ कम की गई हैं (जैसे इराक के लिए पहले 39% प्रस्तावित था, जिसे 30% किया गया)। इसके पीछे कारण बताया गया कि अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ थोड़ा कम हो, लेकिन सख्ती का संदेश जाए।
यह कदम ऐसे समय में आया है जब ट्रंप ने हाल ही में जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अमेरिका के अहम व्यापारिक साझेदारों पर भी 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप का कहना है कि उनके राष्ट्रपति रहते हुए “अमेरिका को पहले” की नीति के तहत वह किसी भी देश से व्यापार घाटा बर्दाश्त नहीं करेंगे।
हालांकि इस घोषणा ने वैश्विक व्यापार जगत में हड़कंप मचा दिया है। आलोचकों का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अविश्वास और अस्थिरता बढ़ेगी। कई अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि इससे अमेरिका में भी महंगाई बढ़ सकती है क्योंकि आयातित सामान महंगे हो जाएंगे।
विश्लेषकों के मुताबिक ट्रंप का यह फैसला चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। वह अपने समर्थकों को दिखाना चाहते हैं कि वह अमेरिकी उद्योग और मजदूर वर्ग के हितों के लिए कठोर कदम उठाने में पीछे नहीं हटते।
वहीं, कुछ देशों ने अमेरिका से बातचीत के संकेत दिए हैं। यूरोपीय संघ ने कहा है कि वह अगस्त से पहले किसी भी तरह के शुल्क से बचने के लिए अमेरिका के साथ चर्चा करेगा। उधर, फिलीपींस और इराक ने भी चिंता जताई है और अपने व्यापारिक दूतावासों को अमेरिका से संपर्क करने का निर्देश दिया है।
इस कदम के बाद वैश्विक बाजारों में भी हल्की गिरावट देखी गई। निवेशक डर रहे हैं कि ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की स्थिति में दुनिया एक और बड़े “ट्रेड वॉर” (व्यापार युद्ध) का सामना कर सकती है।