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अमित शाह ने कहा, बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री बनना उनका एजेंडा नहीं

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘पंचायत आजतक बिहार’ कार्यक्रम में बयान देते हुए एक ऐसे विषय पर अपनी पुख्ता राय व्यक्त की, जो बिहार की राजनीति में हमेशा से विवाद का कारण रहा है — भाजपा का अपना मुख्यमंत्री। उन्होंने कहा कि वे “स्वप्न” देखने वाले व्यक्ति नहीं हैं और इस तरह के दावों को राजनीतिक अटकल के रूप में खारिज किया।

अमित शाह ने यह पलटवार उस सवाल के संदर्भ में किया, जिसमें उन्हें यह पूछा गया कि हिंदी पट्टी में बिहार ऐसा अकेला राज्य है जहाँ भाजपा का कभी मुख्यमंत्री नहीं रहा — क्या भाजपा इस कमी को पूरा करना चाहती है? इस पर उन्होंने टालते हुए कहा कि उन्होंने आज तक जीवन में कोई सपना नहीं देखा, और उनका राजनीतिक उद्देश्य “चैन की नींद” के साथ काम करना है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा हमेशा गठबंधन के नियमों और सहयोगियों के साथ सम्मान से आगे बढ़ी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अधिक सीटें जीतने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद स्वीकार कर लेने दिया, क्योंकि गठबंधन की राजनीति एवं विश्वास उसी दिशा में ले जाना था।

शाह ने कहा कि उस समय नीतीश कुमार ने खुद प्रधानमंत्री मोदी को कॉल किया था और यह सुझाव दिया था कि भाजपा की सीटें ज़्यादा आई हैं इसलिए मुख्यमंत्री पद भाजपा का होना चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार की वरिष्ठता को महत्व देते हुए कहा कि “आप नेतृत्व करें, हमें कोई आपत्ति नहीं।” इस पर भाजपा ने मोदी की बात का सम्मान किया।

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के बारे में अमित शाह ने यह स्पष्ट किया कि अभी न तो भाजपा ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी तय की है और न ही वह अकेले चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा कि एनडीए (NDA) नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी, और चुनाव परिणामों के बाद सभी सहयोगी दल मिलकर मुख्यमंत्री का चुनाव तय करेंगे।

हालाँकि, उन्होंने यह भी जोड़ना नहीं भूले कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और पुरानी पारी वाले नेता हैं। उन्होंने यह रेखांकित किया कि नीतीश ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत से कांग्रेस और अन्य पार्टियों के खिलाफ संघर्ष किया है, और भाजपा उन पर भरोसा करती है।

स्वास्थ्य और अन्य विवादों को लेकर अमित शाह ने कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार से व्यक्तिगत रूप से काफी संवाद किया है, और उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला जो स्वास्थ्य से जुड़े आरोपों को साबित करे। बढ़ती उम्र के कारण चुनौतियाँ हो सकती हैं, पर यह इतना महत्वपूर्ण नहीं कि उस पर राजनीति की जंग हो।

राजनीति के दृष्टिकोण से, अमित शाह का यह बयान दो तरह से देखा जा सकता है:

  1. गठबंधन संतुलन बनाए रखना — भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह सहयोगियों के साथ मिलकर चलेगी, किसी भी तरह की दबदबे की नीति अपना कर माहौल बिगाड़ना नहीं चाहती।

  2. आत्मविश्वास का संकेत — भाजपा यह नकार कर नहीं बैठी कि उसके पास ताकत है; लेकिन अभी समय नहीं आ गया कि वह खुलकर मुख्यमंत्री की दावेदारी पेश करे।

भविष्य में क्या होगा — भाजपा खुद मुख्यमंत्री अगुवाई चाहेगी या फिर गठबंधन केंद्रित रणनीति को ही आगे ले जाएगी — यह बिहार की जनता द्वारा दिए जाने वाले जनादेश और दलों के बीच सीट बंटवारे की चर्चाओं पर निर्भर करेगा।

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