
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में चर्चा हो रहे 130वें संविधान संशोधन विधेयक के खिलाफ राहुल गांधी की प्रतिक्रिया पर तीखा हमला बोला। उन्होंने प्रश्न पूछा कि जब कांग्रेस नेता ने 2013 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा जारी उस अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़कर ‘नैतिकता’ का दावा किया था, तब नैतिकता थी—तो आज क्या बदल गया? अमित शाह ने कहा कि चुनाव में लगातार तीन हार के बाद राहुल गांधी ने अपनी नैतिकता कैसे बदल ली? नैतिकता का मानक सूरज और चंद्रमा की तरह स्थिर होना चाहिए, चुनाव की जीत-हार से नहीं जुड़ा होना चाहिए।
यह अध्यादेश लालू प्रसाद यादव को राहत देने के उद्देश्य से लाया गया था, जिससे उन्हें तीन महीने तक सांसदीय सदस्यता बनाए रखने की सुविधा मिलती, लेकिन राहुल ने उसे ‘पूर्ण बकवास’ कहते हुए फाड़ दिया था। शाह ने फिर उस घटना की तुलना वर्तमान संविधान संशोधन से की, जो यह प्रावधान करता है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार रहता है, तो उसका पद स्वतः समाप्त हो जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि यह नियम केवल विपक्ष के लिए नहीं बल्कि एनडीए के मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री के लिए भी लागू होता है। यदि मामला झूठा हो तो अदालत जमानत दे सकती है और सरकार भी चल सकती है, लेकिन अगर जमानत नहीं है तो पद से हटना ही उचित होगा। शाह ने अंत में सवाल उठाया—क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री जेल से सरकार चला सकता है? उन्होंने उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में कानून के दायरे से बाहर रहने का अधिकार किसी को नहीं है।