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आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने Microsoft-Google को छोड़ा, भारतीय प्लेटफॉर्म Zoho अपनाया; स्वदेशी सॉफ्टवेयर को बढ़ावा

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संघीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय सॉफ़्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म Zoho को अपनाने की घोषणा की है, जिससे यह एक बड़ा राजनीतिक-तकनीकी संकेत माना जा रहा है कि अब सरकार विदेशी सॉफ़्टवेयर से ज़्यादा स्वदेशी विकल्पों को महत्व देगी।

मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लिखा कि वे दस्तावेज़ (documents), स्प्रेडशीट्स (spreadsheets), और प्रस्तुतियाँ (presentations) बनाने हेतु Microsoft और Google जैसे विदेशी टूल्स छोड़कर Zoho का उपयोग शुरू कर रहे हैं। उन्होंने अन्य लोगों से भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित स्वदेशी (Swadeshi) उत्पादों और सेवाओं को अपनाने की अपील की है।

यह कदम सिर्फ व्यक्तिगत उपयोग का नहीं है, बल्कि सरकार की उस नीति का हिस्सा है जो मालिकाना प्रौद्योगिकी, स्वदेशी सॉफ्टवेयर विकास और डेटा गोपनीयता (data privacy) के महत्व पर जोर देती है। Zoho के माध्यम से दस्तावेज़ और प्रस्तुतीकरण जैसे सामान्य कार्यालयी कामों में विदेश-निर्मित सॉफ़्टवेयर पर निर्भरता कम हो सकती है।

Zoho क्या है, इसके बारे में जानकारी भी महत्वपूर्ण है: यह चेन्नई स्थित सॉफ़्टवेयर-ए-सर्विस कंपनी है जिसे 1996 में स्थापित किया गया था। इसमें लगभग 55 से ज़्यादा उत्पाद हैं जो क्लाउड-आधारित हैं — ज़ोहो वर्कफ़्लो, ज़ोहो CRM, ज़ोहो मेल, ज़ोहो बुक्स, ज़ोहो मीटिंग आदि जैसे टूल्स शामिल हैं। ये टूल्स छोटे से लेकर बड़े उद्यमों तक, व्यवसाय प्रबंधन, टीम समन्वय, मार्केटिंग, वित्तीय लेखांकन और भी कई कामों में उपयोगी हैं।

इस स्विच का एक प्रेरक कारण यह भी है कि हाल ही में अमेरिकन वीज़ा नीतियों (विशेषकर H-1B वीज़ा शुल्कों) में बदलाव हुआ है, जो भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवरों को प्रभावित कर रहा है। इस तरह के बाहरी दबाव के बीच, स्थानीय सॉफ़्टवेयर समाधान अपनाने की विचारधारा को बल मिला है।

इस मुद्दे की प्रतिक्रिया भी ज़ोरदार है: Zoho के सह-संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने मंत्री की घोषणा को सराहना करते हुए कहा है कि यह कदम उनके इंजीनियरों और समूचे स्वदेशी सॉफ़्टवेयर उद्योग के लिए आत्म-विश्वास बढ़ाने वाला है।

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