
उत्तर-पूर्वी राज्य Assam ने 4 दिसंबर 2025 को एक ऐतिहासिक और कड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि अब से “जिहादी साहित्य” और उससे जुड़ी कोई भी प्रकाशित या डिजिटल चरमपंथी सामग्री — चाहे वो किताब, ब्रोशर, दस्तावेज़, वेबसाइट, सोशल मीडिया पेज, मैसेजिंग चैनल या एन्क्रिप्टेड प्लेटफार्म हो — उसके प्रकाशन, बिक्री, वितरण, प्रदर्शन, संग्रह, डिजिटल साझा-करण आदि पर पूरी तरह पाबंदी होगी। यह आदेश राज्य की गृह एवं राजनीतिक विभाग द्वारा, Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS), 2023 की धारा 98 के अंतर्गत जारी किया गया है।
सरकार ने इस पाबंदी की पृष्ठभूमि में यह बताया है कि खुफिया दस्तावेज़ों, साइबर-पैट्रोलिंग रिपोर्ट्स और हालिया पुलिस व विशेष कार्य बल (Special Task Force) की जांचों से पता चला है कि राज्य में प्रतिबंधित आतंकवादी व चरमपंथी संगठनों जैसे Jamaat-ul-Mujahideen Bangladesh (JMB), Ansarullah Bangla Team (ABT), AQIS आदि से जुड़ी जिहादी सामग्री — कागज़ी, मुद्रित और डिजिटल — अवैध रूप से पहुंच रही है, बटी जा रही है या रखी जा रही है। सरकार का मानना है कि ऐसी सामग्री सामाजिक अस्थिरता, साम्प्रदायिक तनाव, कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार और युवाओं के रेडिकलाइजेशन का खतरा पैदा करती है।
इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अब किसी भी प्रकार के प्रकाशन, पुनरुत्पादन, वितरण, बिक्री, प्रदर्शन, प्रसारण, डिजिटल साझा-रण या संग्रहण की अनुमति नहीं होगी। यदि कोई व्यक्ति या संस्था इस पाबंदी का उल्लंघन करती है — चाहे कागज़ी मीडिया हो या ऑनलाइन माध्यम — तो उसके खिलाफ पुलिस कार्रवाई, सामग्री जब्ती, और संबंधित कानूनों (BNSS, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम आदि) के तहत दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे।
सरकार ने साफ कहा है कि यह कदम “युवाओं को हिंसक चरमपंथी विचारों एवं तुष्टिकरण — जो अक्सर धर्म या साम्प्रदायिक भावनाओं के नाम पर फैलाए जाते हैं” — से बचाने के लिए जरूरी है। अधिकारियों का मानना है कि अगर अब इस तरह की सामग्री को बचे रहने दिया जाएगा, तो देश की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक समरसता और सामुदायिक सौहार्द को बड़ा खतरा है।
विशेष रूप से यह पाबंदी उन संगठनों पर केंद्रित है, जिन्हें पहले से ही अवैध व आतंकवादी घोषित किया जा चुका है। सरकार ने कहा है कि यह किसी धर्म-समुदाय विशेष को निशाना नहीं बना रही, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और संवेदनशीलता बनाए रखने की दिशा में कदम उठा रही है। साथ ही पुलिस, साइबर यूनिट, स्पेशल ब्रांच, जिलाधिकारी कार्यालय आदि को निर्देश दिए गए हैं कि इस आदेश को कड़ाई से लागू करें और नियमित निगरानी सुनिश्चित करें।
इस पाबंदी का मतलब यह हुआ कि अब असम में प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक — दोनों माध्यमों में चरमपंथी साहित्य का कारोबार, प्रचार-प्रसार और संग्रह संभव नहीं रहेगा। यह फैसला राज्य में बढ़ते आतंकवाद, रेडिकल विचारों और ऑनलाइन प्रचार को देखते हुए समय पर लिया गया कदम माना जा रहा है।



